नागालैंड में नागरिकों की मौत मामले में 30 जवानों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, DGP ने दी जानकारी

Edited By Yaspal,Updated: 11 Jun, 2022 08:18 PM

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नागालैंड पुलिस ने चार दिसंबर, 2021 को मोन जिले के ओटिंग-तिरू इलाके में सेना के एक अभियान के दौरान कम से कम 13 आम लोगों की मौत के मामले में मेजर रैंक के एक अधिकारी सहित ‘21 पैरा स्पेशल फोर्स' के कम से कम 30 कर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है

नेशनल डेस्कः नागालैंड पुलिस ने चार दिसंबर, 2021 को मोन जिले के ओटिंग-तिरू इलाके में सेना के एक अभियान के दौरान कम से कम 13 आम लोगों की मौत के मामले में मेजर रैंक के एक अधिकारी सहित ‘21 पैरा स्पेशल फोर्स' के कम से कम 30 कर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोपपत्र से पहले की जांच में पाया गया कि स्पेशल फोर्स की अभियान टीम ने मानक संचालन प्रक्रिया और अभियान के दौरान नियमों का पालन नहीं किया तथा अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे छह नागरिकों की तत्काल मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

चुमौकेदिमा पुलिस परिसर में शनिवार को नगालैंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) टी जॉन लोंगकुमर ने कहा कि तिजित पुलिस थाना का मामला ओटिंग घटना से संबद्ध है, जिसमें उग्रवादिों पर घात लगा कर किये गये हमले में 13 लोग मारे गये थे। वे 4 चार दिसंबर 2021 की इस घटना में गलत पहचान के चलते मारे गये थे। राज्य अपराध पुलिस थाना ने पांच दिसंबर को सेना के अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 304 और 34 के तहत फिर से मामला दर्ज किया और जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दी गई।

लोंगकुमर ने कहा कि इस मामले में ‘‘एसआईटी ने पेशेवर और गहन जांच की'', जिसमें विभिन्न अधिकारियों और स्रोतों से प्राप्त प्रासंगिक महत्वपूर्ण दस्तावेज, केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) गुवाहाटी, हैदराबाद और चंडीगढ़ से वैज्ञानिक राय और तकनीकी सहित विभिन्न सबूत शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान से साक्ष्य एकत्र किए गए।

डीजीपी ने कहा कि जांच पूरी हो गई है और आरोपपत्र जिला एवं सत्र न्यायालय, मोन को 30 मई, 2022 को सहायक लोक अभियोजक, मोन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने कहा कि एक मेजर, दो सूबेदार, आठ हवलदार, चार नायक, छह लांस नायक और नौ पैराट्रूपर्स सहित 21 पैरा स्पेशल फोर्स की अभियान टीम के 30 सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

डीजीपी ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी की मांग वाली अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ​​की रिपोर्ट इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में सैन्य मामलों के विभाग को भेजी गई थी और मई में फिर से पत्र भेजा गया था। उन्होंने कहा कि अभियोजन की मंजूरी का अभी इंतजार है। उन्होंने बताया कि इस बीच 30 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने तक आरोपपत्र दाखिल कर दी गई है।

जांच से पता चला है कि मेजर रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में 31 कर्मियों वाली 21 पैरा स्पेशल फोर्स की अल्फा टीम ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) (युंग आंग) (एनएससीएन-के (वाईए) और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) कैडर के एक संगठन की क्षेत्र में मौजूदगी के बारे में खुफिया सूचना के आधार पर तीन दिसंबर, 2021 को ओटिंग तिरु क्षेत्र में एक अभियान शुरू किया था।चार दिसंबर, 2021 को अपराह्न लगभग 4:20 बजे अपर तिरु और ओटिंग विलेज के बीच लोंगखाओ में घात लगाकर वहां मौजूद 21 पैरा स्पेशल फोर्स की ऑपरेशन टीम ने सफेद बोलेरो पिकअप वाहन पर गोलियां चला दीं, जिसमें ओटिंग गांव के आठ आम आदमी सवार थे। उन्होंने कहा कि जिनमें से ज्यादातर तिरु में कोयला खदानों में मजदूर के रूप में काम करते थे। उन्होंने इन लोगों की न तो सही पहचान सुनिश्चित की थी और न ही हमले से पहले उन्हें कोई चुनौती दी थी।

डीजीपी ने कहा कि जांच से पता चला है कि ओटिंग और तिरु के ग्रामीण जब लापता ग्रामीणों की तलाश में घटनास्थल पर पहुंचे और रात करीब आठ बजे बोलेरो पिकअप वाहन मिला तो वे शव मिलने पर हिंसक हो गए और और 21 पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों तथा ग्रामीणों के बीच हाथापाई शुरू हो गयी। उन्होंने कहा कि एक पैराट्रूपर की मौत हो गई और 21 पैरा स्पेशल फोर्स टीम के 14 कर्मियों को हाथापाई के परिणामस्वरूप चोटें आईं। इसके चलते मेजर ने रात करीब 10 बजे गोली चलाने का आदेश दिया। दूसरी घटना में सात ग्रामीणों को विशेष बल ने मार गिराया।

डीजीपी ने कहा कि 21 पैरा एसएफ द्वारा दायर शिकायत के आधार पर 21 पैरा एसएफ के एक पैराट्रूपर की मौत और अन्य कर्मियों पर हमला तथा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ तिरु पुलिस थाना ने 11 दिसंबर, 2021 को आईपीसी की धारा 326, 435, 302, 307 और 34 तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1 ए) के तहत एक अलग प्राथमिकी दर्ज की थी। इस घटना के कारण अगले दिन मोन शहर में कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी, जिसमें गुस्साई भीड़ ने सार्वजनिक स्थानों पर तोड़फोड़ की और असम राइफल्स चौकी पर भी हमला किया, जिसमें जवाबी गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके चलते दिसंबर में राज्य भर में कई विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक संस्थाओं ने नगालैंड से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) हटाने की मांग की।

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