राम मंदिर के मुख्य पुजारी Acharya Satyendra Das का निधन

Edited By Updated: 12 Feb, 2025 10:48 AM

chief priest of ram temple acharya satyendra das passed away

राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन 12 फरवरी को हुआ। वे 85 वर्ष के थे और 3 फरवरी से लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती थे। वे ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित थे और मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का भी इलाज चल रहा था। आचार्य सत्येंद्र दास...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन 12 फरवरी, बुधवार को हो गया। वे 85 वर्ष के थे और हाल ही में स्वास्थ्य समस्याओं के कारण लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में भर्ती थे। आचार्य सत्येंद्र दास को 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक (मस्तिष्काघात) के कारण गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके शरीर में मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों का भी उपचार चल रहा था। उन्हें एसजीपीजीआई के न्यूरोलॉजी आईसीयू में रखा गया था और उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। अस्पताल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि, 12 फरवरी की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पुजारी के रूप में अयोध्या में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वे राम मंदिर के निर्माण कार्य में शामिल रहे और अयोध्या के श्रद्धालुओं के लिए उनका स्थान अत्यधिक सम्मानित था। उनका निधन मंदिर के पुजारी समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी उम्र 85 वर्ष थी, और वे अत्यधिक सरल और साधू जीवन जीने के लिए प्रसिद्ध थे। उनका धार्मिक जीवन और सेवा भाव हमेशा राम मंदिर के अनुयायियों और अयोध्यावासियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। आचार्य सत्येंद्र दास के निधन से अयोध्या में शोक की लहर है और उनके शिष्य, परिवार के लोग, और राम भक्त गहरे दुख में हैं। उनके अंतिम संस्कार की तिथि और स्थान के बारे में जल्द ही जानकारी दी जाएगी।

आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर के महत्व को बताते हुए हमेशा इसे भारतीय संस्कृति और धार्मिक एकता का प्रतीक माना। उनके निधन से राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में भी एक रिक्तता आ गई है, लेकिन उनका योगदान सदैव याद रखा जाएगा। राम मंदिर के प्रमुख पुजारी के निधन से अयोध्या के सभी धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कमी महसूस की जाएगी। भक्तों और मंदिर के पुजारियों के लिए यह एक कठिन समय है, लेकिन उनकी यादें और उनकी धार्मिक सेवा हमेशा जीवित रहेंगी। 

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