मसरत आलम की रिहाई पर सवालिया निशान, कुछ दिन पहले मिली थी जमानत

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 11:39 PM

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करीब बीस साल जेल में रहने बाद अलगाववादी नेता मसरत आलम भट्ट को एक बार फिर अदालत ने रिहाई का आदेश दिया है।

श्रीनगर : करीब बीस साल जेल में रहने बाद अलगाववादी नेता मसरत आलम भट्ट को एक बार फिर अदालत ने रिहाई का आदेश दिया है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस नेता और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मसरत को जमानत तो मिल गई है, लेकिन इसके आसार कम ही है वे जेल से रिहा हो पाए, क्योंकि अब तक ये होता आया है कि राज्य की पीडीपी और बीजेपी गठबंधन की सरकार उसे किसी न किसी मामले में आरोपी बना कर उसकी गिरफ्तारी का आदेश जारी कर देती है।


श्रीनगर के मजिस्ट्रेट की अदालत ने रिहाई के आदेश दे दिया है लेकिन अभी तक उसे रिहा नहीं किया गया है। मसरत आलम सरकार विरोधी प्रदर्शनों के चलते साल 2010 से जेल से अंदर-बाहर होता रहा है। उसके खिलाफ 50 मामले दर्ज किए गए थे और 35 बार से ज्यादा जन सुरक्षा अधिनियम (पी.एस.ए ) लागू किया जा चुका है। सरकार को डर है कि कहीं रिहा होकर मसरत आलम गठबंधन सरकार के लिए गले की फांस ना बन जाए।


मसरत आलम को 2010 में कश्मीर घाटी में हिंसा के बाद पी.एस.ए के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर भारत विरोधी हिंसक प्रदर्शन करने का भी आरोप है। इस उपद्रव में 120 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। राज्य में जन सुरक्षा के लिए खतरा होने और संकट पैदा करने के आरोपों में आलम छह साल से लगातार सलाखों के पीछे है।  मसरत आलम को अलगाववादी हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी का बेहद करीबी माना जाता है।


अब एक बार फिर अब रिहाई के बाद यही आशंका प्रकट की जा रही है कि वह सरकार विरोधी आंदोलन की कमान अपने हाथों में ले सकता है और अगर ऐसा हुआ तो कश्मीर में भयानक तबाही आने की चिंता सभी को सताने लगी है।

 

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