डी.एम.के. का घोषणापत्र में वादा, सत्ता में आए तो राज्यपाल की शक्तियां करेंगे कम

Edited By Mahima,Updated: 22 Mar, 2024 09:27 AM

d m k promise in the manifesto that if voted to power

भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि लोकसभा चुनाव में किसी राजनीतिक दल ने अपने घोषणापत्र में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का वादा किया गया है। दरअसल यहां बात कर रहे हैं।

नेशनल डेस्क: भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि लोकसभा चुनाव में किसी राजनीतिक दल ने अपने घोषणापत्र में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का वादा किया गया है। दरअसल यहां बात कर रहे हैं। तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी.एम.के.) की, जिसने राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव के कारण अपने घोषणापत्र में जनता से राज्यपाल की ताकत को कम करने का वादा किया है।  तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पार्टी का घोषणापत्र जारी करने के बाद कहा कि डी.एम.के. पार्टी चुनाव से पहले घोषणापत्र तैयार करती है और हम अपने वादों पर खरा उतरते हैं।

राज्यपालों पर लगते रहे हैं आरोप
देश में गैर भाजपाई सरकारों और राज्यपालों के बीच टकराव आम हो चला है। पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह आरोप लगते रहे हैं कि राज्यपाल भाजपा के नुमाइंदों के तौर पर कार्य करते रहे हैं। इसी टीस के चलते तमिलनाडु की सत्ताधारी डी.एम.के. ने अपना चुनावी घोषणापत्र में पार्टी के जीतने पर राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की भूमिका सुनिश्चित करने और राज्यपाल की ताकत कम करने को लेकर वादा किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के इतिहास में ये अभूतपूर्व है कि किसी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में राज्यपाल की ताकत कम करने के जुड़ा वादा किया है। अखबार लिखता है कि ये संघीय ढांचे के बिगड़ते जाने का संकेत है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है राज्यपाल के साथ विवाद
माना जा रहा है कि राज्यपाल आर.एन. रवि के साथ बार-बार विवाद होने के कारण पार्टी ने अपने घोषणापत्र में इस वादों को जगह दी है। दोनों के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। पार्टी का आरोप है कि राज्यपाल भाजपा के नुमाइंदे के तौर पर काम कर रहे हैं। हालांकि डी.एम.के. के अलावा गैर भाजपा शासित प्रदेशों की सरकारें भी राज्यपाल पर इसी तरह के आरोप लगाती रही हैं। पार्टी ने अपने घोषणापत्र में ये भी कहा है कि जीतने पर वे आपराधिक मामले से राज्यपाल का बचाव करने वाले संविधान की धारा 361 में संशोधन करेगी। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, नागरिकता संशोधन कानून और एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को भी खारिज करेगी।

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