Edited By Rohini Oberoi,Updated: 09 Oct, 2025 04:17 PM

गुजरात के अहमदाबाद से एक अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जो माता-पिता और बच्चों के बीच व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बढ़ते टकराव को दर्शाता है। यहां एक 42 वर्षीय बेटी ने अपने ही माता-पिता और छोटी बहन के खिलाफ पुलिस में एफआईआर (FIR) दर्ज...
नेशनल डेस्क। गुजरात के अहमदाबाद से एक अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जो माता-पिता और बच्चों के बीच व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बढ़ते टकराव को दर्शाता है। यहां एक 42 वर्षीय बेटी ने अपने ही माता-पिता और छोटी बहन के खिलाफ पुलिस में एफआईआर (FIR) दर्ज कराई है। उसका आरोप है कि वे उसके निजी जीवन में लगातार दखल दे रहे हैं और दूसरी शादी के फैसले पर हस्तक्षेप कर रहे हैं।
क्या है बेटी का आरोप?
कॉर्पोरेट मार्केटिंग में काम करने वाली इस शिकायतकर्ता ने गांधीनगर महिला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। उनका मुख्य आरोप यह है कि भोपाल से आए उनके माता-पिता ने उनके बिजनेस पार्टनर से शादी करने के फैसले का कड़ा विरोध किया। बेटी ने शिकायत की कि उन्हें लगातार फोन पर धमकी भरे और अपमानजनक कॉल्स आते रहे जिसमें उन्हें चरित्रहीन तक कहा गया।
शादी और विवाद की पृष्ठभूमि
शिकायतकर्ता की शादी साल 2009 में हुई थी लेकिन मतभेद के कारण वे 2021 में अलग रहने लगीं।
अलग होने के बाद उनके माता-पिता ने उन पर पति के पास लौटने और सुलह करने के लिए लगातार दबाव बनाया। जून 2024 में तलाक होने के बाद बेटी ने अपने बिजनेस पार्टनर के साथ रिश्ते में आने और उससे शादी करने का फैसला किया। जब उन्होंने माता-पिता को यह बात बताई तो उन्होंने इसका सख्त विरोध किया। मई के महीने में माता-पिता और बहन उनके घर आईं और कथित तौर पर उनका अपमान किया और गालियां दीं।
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संपत्ति से किया बेदखल
बेटी ने यह भी आरोप लगाया कि उनके माता-पिता ने उन्हें अपनों से अलग कर दिया और संपत्ति में उनके अधिकार भी रद्द कर दिए। इस फैसले का नोटिफिकेशन लेटर उन्होंने एक अखबार में प्रकाशित भी करवाया।
कोर्ट ने दी अंतरिम राहत
बेटी द्वारा FIR दर्ज कराए जाने के बाद माता-पिता और बहन ने एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि माता-पिता बेटी की जीवनशैली को स्वीकार नहीं कर पाए जिसके कारण बातचीत में थोड़ी गरमजोशी आई जिसे बेटी ने धमकी और उत्पीड़न के रूप में समझा।
गुजरात हाईकोर्ट के जज निरजर देसाई ने पुलिस और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई 28 नवंबर को तय की है। साथ ही कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए माता-पिता के खिलाफ किसी भी पुलिस कार्रवाई पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।
यह मामला अब कोर्ट में है जहां व्यक्तिगत पसंद की स्वतंत्रता और पारिवारिक मूल्यों के हस्तक्षेप के बीच कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।