Edited By Rohini Oberoi,Updated: 11 Dec, 2025 03:02 PM

महाराष्ट्र में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना में Bombay High Court की नागपुर बेंच ने POCSO अधिनियम (POCSO Act) की व्याख्या करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ नाबालिग लड़की को पैसे का लालच देना या हाथ...
नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना में Bombay High Court की नागपुर बेंच ने POCSO अधिनियम (POCSO Act) की व्याख्या करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ नाबालिग लड़की को पैसे का लालच देना या हाथ पकड़कर यौन प्रस्ताव स्वीकार करवाने की कोशिश करना भी यौन शोषण (Sexual Harassment/Abuse) माना जाएगा।
13 साल की मासूम से छेड़छाड़
यह घटना महाराष्ट्र के एक इलाके की है। आरोपी ने 13 साल की मासूम लड़की को घर में अकेला पाकर उसके साथ यौन संबंध बनाने के बदले 50 रुपये देने की कोशिश की। जब मासूम ने शोर मचाया तो वह भाग गया लेकिन वह थोड़ी देर बाद दोबारा लौटा और लड़की का हाथ पकड़कर फिर से वही हरकत दोहराने की कोशिश की। लड़की ने यह बात अपने मामा को बताई जिन्होंने पुलिस में प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई। ट्रायल कोर्ट ने 2019 में आरोपी को POCSO अधिनियम के तहत दोषी ठहराया।
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हाथ पकड़ना भी यौन शोषण
दोषी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की। जस्टिस निवेदिता मेहता ने अपील को खारिज करते हुए बचाव पक्ष की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि सिर्फ पीड़िता का हाथ पकड़ना अपराध नहीं माना जा सकता। जस्टिस मेहता ने कहा कि POCSO अधिनियम बच्चों को यौन शोषण के हर रूप से बचाता है। इसमें लालच देकर किए गए काम और जबरदस्ती प्रस्ताव स्वीकार करवाने की कोशिश भी शामिल हैं।
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नाबालिग लड़की को यौन संबंध के लिए पैसे का लालच देना और उसका हाथ पकड़कर जबरदस्ती करना POCSO अधिनियम के तहत यौन शोषण माना जाएगा। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सज़ा को पूरी तरह बरकरार रखा। यह फैसला बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने के लिए बनाए गए कानून की व्यापकता को दर्शाता है।