Maha Kumbh में सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग, संतों ने प्रस्ताव में उठाए प्रसाद वितरण, मंदिर प्रबंधन और धर्मांतरण रोकने के मुद्दे

Edited By Updated: 28 Jan, 2025 11:43 AM

demand for establishment of sanatan board in maha kumbh

महाकुंभ में संतों ने सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग की, जो हिंदू मंदिरों की संपत्ति का प्रबंधन करेगा, धर्मांतरण को रोकने के लिए मदद प्रदान करेगा और मंदिरों में पारंपरिक पूजा पद्धतियों का पालन करेगा। बोर्ड में प्रमुख संत और धार्मिक नेता शामिल होंगे,...

नेशनल डेस्क: महाकुंभ में संतों की धर्म संसद में सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग ने जोर पकड़ा। संतों ने इस प्रस्ताव को समर्थन देते हुए कहा कि यह बोर्ड हिंदू धर्म, मंदिरों और धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा करेगा। प्रस्ताव में कहा गया कि यह बोर्ड केवल हिंदू मंदिरों का प्रशासन करेगा, बल्कि धर्मांतरण को रोकने के लिए आर्थिक मदद भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, मंदिरों के प्रसाद प्रबंधन, पुजारियों की नियुक्ति और मंदिरों की संपत्ति की देखरेख को लेकर भी कड़े नियम बनाए जाएंगे।

भारतीय संस्कृति और परंपराओं की रक्षा
सनातन बोर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म और मंदिरों की रक्षा करना है। संतों के अनुसार, यह बोर्ड भारतीय संस्कृति और परंपराओं की रक्षा करेगा, खासकर उन मंदिरों की जो वर्तमान में सरकारी नियंत्रण में हैं। संतों का कहना है कि तिरुपति बालाजी जैसे बड़े मंदिरों में बाहरी लोगों की घुसपैठ से हमारी आस्था को खतरा हो सकता है, और इस तरह के मामलों पर नियंत्रण पाने के लिए सनातन बोर्ड की आवश्यकता है। संतों ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि देश में उद्योगों के लिए CII और FICCI जैसे संगठन हैं, तो क्यों नहीं एक ऐसा संगठन हो जो सनातन धर्म और हिंदू समाज के अधिकारों की रक्षा करे। 

सनातन बोर्ड के प्रमुख कार्य
सनातन बोर्ड का उद्देश्य विभिन्न कार्यों को संभालना है, जिनमें प्रमुख रूप से:

1. मंदिरों का प्रबंधन: बोर्ड मंदिरों के धन और संपत्ति का सही तरीके से प्रबंधन करेगा। साथ ही, मंदिरों में पारंपरिक पूजा पद्धतियों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
2. धर्मांतरण पर रोक: बोर्ड आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू परिवारों को मदद प्रदान करेगा ताकि वे धर्म परिवर्तन के दबाव से बच सकें। 
3. पुजारियों की नियुक्ति: मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति पारंपरिक और धार्मिक मानदंडों के आधार पर की जाएगी। 
4. प्रसाद प्रबंधन: बोर्ड प्रसाद वितरण का प्रबंधन करेगा, ताकि तिरुपति बालाजी मंदिर में जैसी गड़बड़ी न हो, और प्रसाद की गुणवत्ता में कोई समझौता न हो।
5. वक्फ बोर्ड के खिलाफ कदम: यह बोर्ड वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जाई गई भूमि की मुक्ति के लिए कानूनी कदम उठाएगा, जिससे असंवैधानिक कब्जों को रोका जा सके।
6. संविधान विरोधी बयानबाजी पर कार्रवाई: सनातन धर्म के खिलाफ बयानबाजी करने वालों और आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
7. मंदिरों में केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति: बोर्ड मंदिरों में कार्य करने के लिए केवल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों को ही अनुमति देगा।

जानिए सनातन बोर्ड की संरचना के बारे में 
सनातन बोर्ड का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा और इसमें 11 सदस्य होंगे। इन सदस्यों में चार प्रमुख शंकराचार्य, तीन प्रमुख संतों या धर्माचार्यों, और अन्य धार्मिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके अलावा, बोर्ड का एक सहयोगी मंडल भी होगा, जिसमें प्रमुख हिन्दू संगठनों, कथाकारों और मंदिरों से जुड़े व्यक्तियों के प्रतिनिधि होंगे। बोर्ड में एक सलाहकार मंडल भी होगा, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायधीश, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी, मीडिया विशेषज्ञ, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे।

धार्मिक और सामाजिक कार्यों का समावेश
सनातन बोर्ड का उद्देश्य केवल मंदिरों का प्रबंधन करना नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भी शामिल होगा। इसमें प्रत्येक बड़े मंदिर के साथ अस्पताल, गौशाला और गुरुकुल चलाने की योजना है। इसके जरिए समाज में जागरूकता बढ़ेगी और धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। 

वक्फ बोर्ड पर उठाए गए सवाल 
कथाकार और उपदेशक देवकीनंदन ठाकुर ने वक्फ बोर्ड पर सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में ऐसे बोर्ड नहीं हैं, तो भारत में क्यों एक वक्फ बोर्ड है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू धर्म के लिए कोई बोर्ड नहीं है, तो भारत में क्यों होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि तिरुपति बालाजी जैसे बड़े मंदिर हर साल सरकार को करोड़ों रुपये का योगदान करते हैं, जबकि सरकार को सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए पहल करनी चाहिए। 

कानून को खत्म करने का आग्रह
धर्म संसद के दौरान जगद्गुरु विद्या भास्कर जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम को खत्म करने की अपील की। उनका कहना था कि यह कानून बिना किसी चर्चा के लागू किया गया था, जो हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से संसद में इस कानून को खत्म करने का आग्रह किया और सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया।

हिंदू धर्म की रक्षा 
धर्म संसद में कई प्रमुख संतों और धार्मिक नेताओं ने अपनी भागीदारी की। इनमें हरिद्वार से चिन्मयानंद बापू, महामंडलेश्वर आशुतोष नंद महाराज, राघवाचार्य जी महाराज, जैन संत विवेक मुनि जी महाराज, हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास और अयोध्या से वल्लभाचार्य जी महाराज शामिल थे। सभी ने सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए समर्थन व्यक्त किया और इसे हिंदू धर्म की रक्षा के लिए एक जरूरी कदम बताया।

 

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