RBI के इन आंकड़ों ने सबको चौंकाया, करोड़ों नोट अचानक चलन से बाहर, जानिए क्यों?

Edited By Updated: 17 Aug, 2025 03:48 PM

digital payments cut dirty currency by 41

भारत में डिजिटल लेनदेन की बढ़ती लोकप्रियता ने न केवल भुगतान के तरीके को आसान बनाया है बल्कि अब इसके असर नोटों की हालत पर भी दिखने लगे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक देश में गंदे और क्षतिग्रस्त नोटों की संख्या में बड़ी...

नेशनल डेस्क: भारत में डिजिटल लेनदेन की बढ़ती लोकप्रियता ने न केवल भुगतान के तरीके को आसान बनाया है बल्कि अब इसके असर नोटों की हालत पर भी दिखने लगे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक देश में गंदे और क्षतिग्रस्त नोटों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच 5.96 अरब नोट चलन से बाहर किए गए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 8.43 अरब थी। यानी, एक साल में लगभग 41% की गिरावट दर्ज की गई है।

डिजिटल क्रांति बनी बड़ी वजह

पिछले कुछ सालों में UPI और अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों ने देश में लेन-देन के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है। लोग अब मोबाइल ऐप्स, QR कोड और ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं। इससे नकदी की जरूरत घटी है और लोग पहले की तुलना में बहुत कम कैश लेन-देन कर रहे हैं। RBI का कहना है कि डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन, लोगों की जागरूकता और नोटों की सही देखभाल की वजह से पुराने और गंदे नोटों की संख्या में गिरावट आई है।

गंदे और क्षतिग्रस्त नोटों की समस्या

कुछ साल पहले तक यह आम बात थी कि नोटों पर लोग पेन से कुछ लिख देते थे, उन्हें मोड़कर रखते थे या बहुत गंदे तरीके से इस्तेमाल करते थे। इससे वे जल्दी फट जाते थे और चलन में बने रहना मुश्किल हो जाता था। इन खराब नोटों को हटाना और उनकी जगह नए नोट छापना एक बड़ा खर्च और मेहनत का काम होता है। लेकिन अब ये तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है।

कौन से नोट सबसे ज़्यादा वापस लिए गए?

अगर हम अप्रैल से जुलाई 2024 और 2025 के बीच के आंकड़ों की तुलना करें, तो यह साफ़ नजर आता है कि हर मूल्य वर्ग के नोटों की वापसी में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्ष 2024 में इस चार महीने की अवधि के दौरान सबसे ज़्यादा 500 रुपये के नोट चलन से बाहर किए गए, जिनकी संख्या 3.10 अरब रही। इसके बाद 100 रुपये के 2.27 अरब नोट, 200 रुपये के 85.63 करोड़ नोट और 50 रुपये के 70 करोड़ नोट बाजार से हटाए गए थे। वहीं 2025 की इसी अवधि में 500 रुपये के 1.81 अरब नोट वापस लिए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम हैं। इसी तरह 100 रुपये के 1.07 अरब नोट, 200 रुपये के 56.27 करोड़ नोट और 50 रुपये के 65 करोड़ नोटों को आरबीआई द्वारा चलन से बाहर किया गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि डिजिटल भुगतान के बढ़ते रुझान और नकदी पर घटती निर्भरता ने हर मूल्य वर्ग के गंदे और पुराने नोटों की वापसी को प्रभावित किया है।

कैसे घटा गंदे नोटों का चलन?

इस बदलाव के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है डिजिटल भुगतान का तेज़ी से बढ़ता चलन। आजकल लोग रोज़मर्रा की खरीदारी से लेकर बड़े-बड़े लेन-देन तक के लिए UPI, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग जैसे माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे नकदी की आवश्यकता लगातार कम हो रही है। इसके अलावा, नोटों की सही तरीके से देखभाल को लेकर भी जनजागरूकता बढ़ी है। सरकार और बैंकों द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों के चलते अब लोग नोटों को मोड़ने, उन पर लिखने या गंदा करने से बचने लगे हैं। इसके साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी खराब और क्षतिग्रस्त नोटों को लेकर सख्ती बरती है। बैंकिंग संस्थानों को समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं कि ऐसे नोटों को तुरंत सिस्टम से बाहर किया जाए। चौथा और अहम कारण यह है कि अब खासकर शहरी इलाकों में लोग कैश लेकर चलने से बचते हैं और डिजिटल माध्यमों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे नकदी पर निर्भरता में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है।

 

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