Edited By Pardeep,Updated: 09 Dec, 2025 11:11 PM

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रुपये की लगातार कमजोरी और बाज़ार में बनी अस्थिरता को काबू करने के लिए एक बड़ा और प्रभावी कदम उठाया है।
नेशनल डेस्कः भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रुपये की लगातार कमजोरी और बाज़ार में बनी अस्थिरता को काबू करने के लिए एक बड़ा और प्रभावी कदम उठाया है। RBI ने 16 दिसंबर 2025 को 45,000 करोड़ रुपये (लगभग 5 अरब अमेरिकी डॉलर) की एक विशेष यूएस डॉलर–भारतीय रुपया बाय-सेल स्वैप नीलामी आयोजित करने का फैसला किया है।
क्या है यह खास स्वैप नीलामी?
यह नीलामी 36 महीने (3 साल) की अवधि वाला एक स्टैंडर्ड फॉरेन एक्सचेंज (FX) बाय-सेल स्वैप होगा। इस प्रक्रिया में बैंक RBI को डॉलर बेचेंगे। इसके बदले में RBI बैंकों को रुपए देगा। इससे बाजार में रुपए की उपलब्धता बढ़ेगी और रुपये पर दबाव कम होगा, यानी रुपया मजबूत हो सकेगा।
रुपये पर दबाव क्यों बढ़ा?
पिछले कुछ महीनों में रुपये को कई वजहों से दबाव झेलना पड़ा है: डॉलर की वैश्विक मजबूती, विदेशी निवेश (FPI/FII) में अनिश्चितता, अमेरिका और यूरोप में सख्त मौद्रिक नीतियां और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव। इन सभी कारणों से भारत सहित कई देशों की करेंसी कमजोर हुई है।
RBI का लक्ष्य — तुरंत राहत + लंबी अवधि की स्थिरता
इस स्वैप नीलामी से ये फायदे होंगे:
- बाजार में रुपए की कमी पूरी होगी।
- रुपया मजबूत होगा और गिरावट रुकने में मदद मिलेगी।
- बैंकों की लिक्विडिटी (कैश उपलब्धता) बेहतर होगी।
- वित्तीय बाजारों में स्थिरता आएगी।
RBI का यह कदम सिर्फ अल्पकालिक राहत नहीं देगा, बल्कि आने वाले महीनों में रुपये को स्थिर रखने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?
ऐसा स्वैप आमतौर पर तभी किया जाता है जब RBI को लगता है कि रुपये पर दबाव बढ़ चुका है। पहले भी RBI ने ऐसे स्वैप के जरिए रुपये को स्थिर किया है, और हर बार इसका अच्छा असर देखने को मिला है। यह विदेशी निवेशकों को भी यह संकेत देता है कि RBI रुपये को स्थिर रखने के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर रहा है।