शिक्षा मंत्रालय द्वारा 7 से 9 जुलाई तक वाराणसी में होगा "अखिल भारतीय शिक्षा समागम" का दिव्य आयोजन

Edited By rajesh kumar,Updated: 05 Jul, 2022 09:09 PM

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शिक्षा मंत्रालय द्वारा 7 से 9 जुलाई 2022 तक विद्या धर्म एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में "अखिल भारतीय शिक्षा समागम" का दिव्य आयोजन किया जा रहा है। यह विशिष्ट आयोजन "उच्च शिक्षा का महाकुंभ" सिद्ध होगा।

नेशनल डेस्क: शिक्षा मंत्रालय द्वारा 7 से 9 जुलाई 2022 तक विद्या धर्म एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में "अखिल भारतीय शिक्षा समागम" का दिव्य आयोजन किया जा रहा है। यह विशिष्ट आयोजन "उच्च शिक्षा का महाकुंभ" सिद्ध होगा। इसका मुख्य उद्देश्य प्रमुख शिक्षाविदों के सामूहिक 'मंथन' के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित अमृत हेतु मंथन करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की द्वितीय वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम भारतीय सभ्यता के मानवीय मूल्यों एवं जीवन कौशलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए देश के युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने हेतु किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत की शिक्षा प्रणाली को उसी प्रकार पोषित करने की क्षमता रखती है जैसे माँ गंगा इस देश के जन-जीवन को पोषित करती रही हैं। भारत को 'नया तथा आत्मानिर्भर' बनाने के लिए उससे संबंधित नीतियों को तैयार करने, युवा पीढ़ी के हितों, क्षमताओं एवं आवश्यकताओं को समझते हुए उसपर विचार-विमर्श करना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हैं।

इस कुंभ का उपयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन एवं इससे अर्जित लाभों के लिए पहले से तैयार किए गए रास्तों पर पुनःविचार करने एवं आगे की रणनीति बनाने हेतु भी किया जाएगा जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के त्रुटिहीन क्रियान्वयन में मदद मिले। साथही शिक्षा प्रणाली में ऐसे सुधार हों जिससे हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्द्धन को गति प्राप्त हो। किसी भी समाज में शिक्षा व्यवस्था से उत्पन्न ज्ञान समग्र मानवता की भलाई का मार्ग प्रशस्त करता है। इसके माध्यम से मनुष्य सामाजिक,आर्थिक, शैक्षिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से सम्पन्न होता है। इस आयोजन की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ने की प्रेरणा प्रदान करने हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी स्वयं इसका उद्घाटन एवं शिक्षाशास्त्रिओं को प्रेरणा प्रदान करेंगे।

इस त्रिदिवसीय समागम के दौरान माननीय शिक्षामंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी की उपस्थिति वरिष्ठ शिक्षाविदों को एनईपी-2020 को लागू करने में नए सिरे से मार्गदर्शन एवं उत्साह देगी। यह युवाओं को गुणवत्तापरक शिक्षा के सुगम अवसर प्रदान करने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता का भी प्रतिबिंब है। भारत आत्मनिर्भर तभी बन सकता है जब हम अपने युवाओं को औद्योगिक क्रांति4.0 में सार्थक एवं उद्देश्यपूर्ण योगदान देने हेतु पर्याप्त सक्षम बनाएं। यह क्रांति डिजिटल तकनीक जैसे, इंटरनेट आफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, इंटेलिजेंट रोबोटिक्स, 3-डीप्रिंटिंग, बिगडेटाएनालिटिक्स, क्लाउडकंप्यूटिंग तथा अन्य नवाचारों पर आधारित है, जो भौतिक एवं डिजिटल के मध्य फासले को कम कर रहें हैं। ऐसा तभी संभव हो पायेगा जब हम युवाओं को शिक्षा के 4.0 संस्करण के प्रारूप में प्रशिक्षित करेंगे। शिक्षा का यह संस्करण, पूर्ववर्ती तीन संस्करणों के विपरीत, सह-शिक्षा, सह-निर्माण और नवाचार को सुनिश्चित करता है।

कभी भी, कहीं भी एवं किसी भी प्रकार की शिक्षा,निष्क्रिय अधिगम को सक्रिय अधिगम में बदलने के लिए फ़्लिप्ड कक्षा का उपयोग, शिक्षण संस्थानों के बाहर सीखना एवं कौशल-विकास का कार्य संस्थानों में होना जैसी अनन्य सुविधाएं शिक्षा के इस संस्करण को अत्यधिक संभावनाओं से परिपूर्ण करती हैं। इसमें विद्यार्थिओं को पाठ्यक्रम, ज्ञान और कौशल के चयन की पूर्ण स्वतंत्रता है, फलस्वरूप छात्र कई संस्थानों से पसंदीदा पाठ्यक्रम पढ़ सकते हैं। इस विशिष्ट कार्यक्रम में वरिष्ठ शिक्षा विद एवं अधिकारी हमारे युवाओं को अनिश्चित तथा अस्थिर भविष्य का सामना करने में सामर्थवान बनाने हेतु समुचित आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हमारी शिक्षा प्रणाली में समयानुकूल एवं देशानुकूल सुधार नहीं हुए,परिणामस्वरूप हम अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार नहीं कर पा रहे है। आज प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों को अंततः ऐसे नए कार्यस्थलों में ऐसे नए कार्य करने पड़ेंगे, जिनकी कल्पना वर्तमान में नहीं की जा सकती एवं जिनकेसंपादन हेतु समुचिततकनीकी का विकास अभी तक नहीं हो पाया है।

चार साल की तकनीकी डिग्री के पहले वर्ष के दौरान चयनित विषयों में अर्जित ज्ञान का लगभग आधा हिस्सा छात्रों के स्नातक होने तक निष्प्रभावी हो जाएगा। हमें भावी अनिश्चितताओं का साहसपूर्वक सामना करने के निमित्त प्रशिक्षकों को तैयार करने हेतु अपने लक्ष्यों में सुधार एवं पुन: रणनीति बनाने की आवश्यकता है। इस शैक्षणिक महाकुंभ में एनईपी-2020, जोकि छात्र-केंद्रित एवं भारत-केंद्रित है, में निहित सुधारों के प्रभावीक्रियान्वन के विषय पर मंथन होगा। जैसे की बहु-विषयक और समग्र शिक्षा शामिल है। कौशल-विकास तथा रोजगार योग्यता अनुसंधान, नवाचार एवं उद्यमिता गुणवत्तापरक शिक्षा हेतु शिक्षकों की क्षमता का निर्माण, गुणवत्ता, रैंकिंग और मान्यता, तकनी की सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, समान एवं समावेशी शिक्षा, भारतीय ज्ञान प्रणाली तथा शिक्षाका अंतरराष्ट्रीयकरण आदि विषय परिचर्चा के केंद्र में रहेंगे।

इन अनिवार्यताओं के त्वरित एवं प्रभावशाली क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतुभावी पथ परभीचर्चाहोगी। शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी बहु-विषयक पाठ्यक्रम बनाने में अहर्निश प्रयासरत हैं। एकाधिक निकास-प्रवेश विकल्प, अकादमिकबैंक ऑफक्रेडिट्स, शिक्षा में प्रौद्योगिकी का उपयोग और एकीकरण, कम से कम प्राथमिक स्तर तक मातृभाषा अथवा क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा, एकल खिड़की के माध्यम से प्रवेश,डिजिटल विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग, सशक्त सामुदायिक संपर्क एवं एवं भारतीय ज्ञान परंपराओं का उपयोग जो हमारे पूर्वजों के अनुभवात्मक ज्ञान से निकली हैं,आदि के सफल क्रियान्वन हेतु रेगुलेशन एवं गाइडलाइन्स बनाई जा रही है। पूर्ण आशा है कि इस आयोजन से एनईपी-2020 के त्वरित क्रियान्वयन तथा मानवता की भलाई के लिए इसके इष्टतम उपयोग के संबंध में बेहतर सुझाव तथा प्रभावी समाधान प्राप्त होंगे।
 

हमें विशेष रूप से 'क्या सीखें' के बजाय'कैसे सीखें' जैसे नए आदर्श लाने पर जोर देना चाहिए। स्किलिंग, अप-स्किलिंग और रीस्किलिंग;सीखना, सीखाना और फिर से सीखना (जीवन भर सीखने हेतु जीवन भर सीखने की अनुकूलन क्षमता), एवं सुधार, प्रदर्शन तथा परिवर्तन, यथा विद्यार्थिओं को कर्मचारियों की तरह सोचने एवं कर्मचारियों को विद्यार्थिओं की तरह सोचने की आवश्यकताओं आदिपर बल देना होगा। इन नए प्रयोगों से ही हम अपने युवाओं को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सामर्थवान बना सकते है। समय आ गया है कि हम छोटे-छोटे बदलावों की जगह व्यापक स्तर पर बदलाव की दिशा में अग्रसर हों।

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