बदले प्रचार के तरीके, चुनावी धंधा हो गया मंदा, नोटबंदी का भी असर

Edited By ,Updated: 07 Dec, 2016 10:10 AM

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चुनावों में अब प्रचार के तरीके बदल गए हैं। आयोग के आदेशों और सोशल मीडिया ने कई लोगों का रोजगार छीन लिया है।

चंडीगढ़(आशीष) : चुनावों में अब प्रचार के तरीके बदल गए हैं। आयोग के आदेशों और सोशल मीडिया ने कई लोगों का रोजगार छीन लिया है। नगर निगम चुनावों में भी सोशल मीडिया पर प्रचार जोरों पर है। सैक्टर-35 में रहने वाले प्रिंस पहले एक दिन में सैंकड़ों फ्लैक्स और होर्डिंग लगाते थे लेकिन पिछले पांच सालों में उनका काम आधा रह गया है। कुछ ऐसा ही हाल वॉल पेंटिंग करने वालों के हैं। आखिर क्या वजह है कि समय के साथ महंगाई बढ़ी लेकिन छोटे रोजगार खत्म हो गए। इसके इस चुनावी मौसम में दो बड़े कारण सामने आए। पहला चुनाव आयोग द्वारा खर्च पर रोक के साथ कई प्रतिबिंध लगाना है। वही दूसरा बड़ा कारण है सोशल मीडिया जिसने वॉल पेंटिंग आदि काम को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। इन दोनों से केवल छोटे काम धंधे करने वाले ही प्रभावित नहीं हुए हैं, बल्कि लाखों करोड़ों रुपए की प्रचार सामग्री बेचने वाले भी मायूस हैं। 

 

कपड़ों के बैनर हुए खत्म : 
कपड़ों के बैनर का जमाना लद गया है। अब उसकी जगह डिजिटल फ्लैक्स ने ले ली है, जबकि पहले कपड़ों के बैनर पर लिखने का काम कालेज के छात्र किया करते थे और चुनावी मौसम से उनकी पढ़ाई का खर्च निकल जाता था। नगर निगम चुनावों के दौरान शहर में कहीं भी बैनर की मंजूरी न होने के कारण उम्मीदवारों ने इससे मुंह मोड़ लिया है। 
 

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