पिता बेचते हैं बर्तन, बेटी बनी खो-खो चैंपियन, प्रेरणादायक है नसरीन की कहानी

Edited By Updated: 16 Jan, 2024 08:00 PM

father sells utensils daughter becomes kho kho champion

खो-खो भारत का एक पारंपरिक और मैदानी खेल है, जिसे गली कूचे का खेल भी मानते है। आज हम खो-खो खिलाड़ी नसरीन शेख के कामयाबी के सफर पर एक नजर डालेंगे जिनका नाम अर्जुन अवार्ड के लिए नामित किया गया है।

नैशनल डैस्क (शारदा सिंह) : खो-खो भारत का एक पारंपरिक और मैदानी खेल है, जिसे गली कूचे का खेल भी मानते है। आज हम खो-खो खिलाड़ी नसरीन शेख के कामयाबी के सफर पर एक नजर डालेंगे, जिन्हें हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया है। 

पिता बेचते है बर्तन
नसरीन के पिता दिल्ली में फेरी लगाकर बर्तन बेचते हैं, नसरीन का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। बावजूद इसके नसरीन ने कभी हिम्मत नहीं हारी और खो-खो का रास्ता चुना। नसरीन का जन्म बिहार के अररिया ज़िले के एक छोटे से गांव जोगबनी में हुआ। नसरीन के पिता मो गफुर शेख नेपाल के बिराटनगर के स्टील फैक्ट्री में काम करते थे, लेकिन बेटी के खो-खो के प्रति लगन और उत्साह को देख वे पूरे परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गया और मजदूरी करने लगा। नसरीन ने न सिर्फ अपने सपनों को बल्कि पिता के उम्मीदों को भी पूरा किया।
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नसरीन पहली बार वर्ष 2016 में इंदौर में हुए खो-खो चैंपियनशिप के लिए चुनी गई थी। साल 2018 में लंदन में खेले गए खो-खो चैंपियन टूर्नामेंट में पहली भारतीय खो-खो खिलाड़ी के रूप में चयनित हुई थी। नसरीन की कप्तानी में साल 2019 में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में भारत ने गोल्ड मेडल जीता था। अब तक नसरीन 35 नेशनल और दो अंतरराष्‍ट्रीय गेम खेल चूकी है। इसके अलावा एशियन गेम 2016 तथा 2018 में भी नसरीन शामिल थी।

खो खो फेडरेशन नसरीन शेख के साथ
ओडिशा के कटक में 24 दिसंबर से 13 जनवरी तक हुए 'अल्टीमेट खो-खो' टूर्नामेंट के दौरान दर्शकों को खो-खो की उमदा खिलाड़ी नसरीन शेख की बायोपिक दिखाई गई थी। खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा, नसरीन एक मिसाल है जिसने हिम्मत नहीं हारी। “खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया का मकसद देश के तमाम वंचित परिवारों से ऐसी और कई नसरीन तलाशना है।
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13 जनवरी तक चला 'अल्टीमेट खो-खो' टूर्नामेंट
अल्टीमेट खो-खो का आयोजन अमित बर्मन द्वारा खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से किया गया। इसके दूसरे सीजन में छह टीमें खिताब के लिए 24 दिसंबर से 13 जनवरी तक प्रतिस्पर्धा करती नजर आईं। इस 21 दिवसीय प्रतियोगिता में छह टीमें ओडिशा जगरनॉट, चेन्नई क्विक गन्स, गुजरात जायंट्स, मुंबई प्लेयर्स, राजस्थान वॉरियर्स और तेलुगु वॉरियर्स रही। इस लीग में 18 दिनों की अवधि में 30 लीग मैच हुए जिसमें प्रत्येक टीम अपनी विरोधियों से दो-दो बार भिड़ी। फिर फाइनल में गुजरात जायंट्स ने शनिवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चेन्नई क्विक गन्स को 31-26 से हराकर खिताब जीता।
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नसरीन की कहानी उसी की जुबानी
नसरीन कहती हैं, “मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा नाम इस प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए शामिल किया गया है। यह गर्व की बात है कि खो-खो को अर्जुन अवार्ड की सूची में जगह मिली है। खो-खो को गली-कूचे का खेल माना जाता था, लेकिन, अब यह लग रहा है कि यह बाक़ी दूसरे लोकप्रिय खेलों के साथ है।” नसरीन की कहानी एक सशक्त और प्रेरणादायक है, जो हर किसी को उम्मीद और हिम्मत देती है विशेष रूप से मुस्लिम लड़कियों के लिए।

 

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