‘बड़े पैमाने' पर मतदाताओं के नाम हटाने के लिए फॉर्म सात का ‘दुरुपयोग' किया गया: प्रियांक

Edited By Updated: 18 Sep, 2025 05:05 PM

form 7 was misused to voters names on a large scale

कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि वर्ष 2023 के मई में हुए विधानसभा चुनाव से पहले पिछली भाजपा सरकार के दौरान मतदाताओं के नाम ‘बड़े पैमाने' पर हटाने के लिए फॉर्म सात का दुरुपयोग किया गया था। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस नेता...

नेशनल डेस्क: कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि वर्ष 2023 के मई में हुए विधानसभा चुनाव से पहले पिछली भाजपा सरकार के दौरान मतदाताओं के नाम ‘बड़े पैमाने' पर हटाने के लिए फॉर्म सात का दुरुपयोग किया गया था। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस दावे के बाद आई है जिसमें उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण दिया था, जहां चुनाव से पहले पार्टी समर्थकों के नाम मतदाता सूची से व्यवस्थित रूप से हटाए जा रहे थे।

फॉर्म सात किसी अन्य व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल करने पर आपत्ति जताने, अपना नाम हटाने, या मृत्यु या स्थान परिवर्तन के कारण मतदाता सूची में किसी अन्य व्यक्ति का नाम हटाने का अनुरोध करने के लिए एक आवेदन पत्र है। इससे पहले, नयी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर ‘वोट चोरों' और लोकतंत्र को नष्ट करने वाले लोगों को बचाने का आरोप लगाया। राहुल ने अपने दावे के समर्थन में कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट व्यवस्थित रूप से हटाए जा रहे थे।

उन्होंने कहा कि आलंद क्षेत्र में किसी ने 6,018 वोटों को हटाने का प्रयास किया और संयोगवश वह पकड़ा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के मतदाताओं के नाम व्यवस्थित तरीके से हटाए जा रहे हैं। खरगे ने कहा, ‘‘आलंद (कलबुर्गी जिले में) में वोट चोरी का मामला बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाने का एक स्तब्ध करने वाला मामला है। मई 2023 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा सरकार के कार्यकाल में फॉर्म सात का दुरुपयोग करके बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाए गए।'' ‘एक्स' पर एक पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि स्वचालित सॉफ्टवेयर और फर्जी लॉगिन का उपयोग करके कुल 6,018 मतदाताओं के नाम हटाने का प्रयास किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘सत्यापन से पता चला कि 5,994 फर्जी मतदाता थे, जबकि असली मतदाता केवल 24 थे। धोखाधड़ी पकड़े जाने से पहले ही 2,494 मतदाताओं के नाम हटा दिए गए थे। कांग्रेस के मजबूत बूथों (खासकर दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं वाले) को निशाना बनाया गया।'' खरगे ने कहा कि एक मामले में केवल 14 मिनट में 12 मतदाताओं के नाम हटा दिए गए, जो एक ‘परिष्कृत वोट चोरी फैक्टरी' की ओर इशारा करता है। एक अन्य मामले में 12 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए एक 63 वर्षीय महिला की पहचान का दुरुपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रही कर्नाटक सरकार की सीआईडी ​​ने भारत निर्वाचन आयोग को आईपी लॉग, ओटीपी ट्रेल्स, डिवाइस आईडी और लॉगिन विवरण मांगते हुए 18 पत्र भेजे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने महत्वपूर्ण डेटा साझा करने से इनकार कर दिया है। मंत्री ने कहा कि इससे गंभीर सवाल उठते हैं। उन्होंने पूछा, ‘‘इन हटाए गए रिकॉर्ड को किसने मंजूरी दी? ओटीपी ‘ऑडिट ट्रेल' कहां है? हटाए गए मतदाताओं को कब बहाल किया जाएगा? निर्वाचन आयोग सीआईडी ​​के साथ सहयोग करने से क्यों इनकार कर रहा है? निर्वाचन आयोग किसे बचाने की कोशिश कर रहा है?'' उन्होंने यह भी जानना चाहा कि जब धोखाधड़ी इतनी स्पष्ट है, तो निर्वाचन आयोग और किस सबूत का इंतजार कर रहा है? वे किसे बचा रहे हैं? 

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