Edited By Shubham Anand,Updated: 29 Jun, 2025 08:28 PM

दिल्ली अकाली दल के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने श्री हरमंदर साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह द्वारा कोर्ट में याचिका दाखिल करने को लेकर कड़ा विरोध जताया है।
National Desk : दिल्ली अकाली दल के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह द्वारा कोर्ट में याचिका दाखिल करने को लेकर कड़ा विरोध जताया है।
सरना ने इस कदम को धार्मिक मर्यादा के खिलाफ बताते हुए कहा कि ऐसे पवित्र पदों पर बैठे व्यक्ति को धार्मिक मर्यादा और इतिहास की समझ होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ज्ञानी रघबीर सिंह ने अदालत का सहारा लेकर ना सिर्फ हेड ग्रंथी जैसे श्रद्धेय पद को विवाद में डाल दिया है, बल्कि इससे उनकी अपनी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे पद की गरिमा की रक्षा करना हर सेवक का कर्तव्य होता है, न कि उसे दुनियावी विवादों में खींचना।
उन्होंने याद दिलाया कि इसी पद पर बाबा बुद्धा साहिब और भाई मणि सिंह जी जैसे महान सेवकों ने सेवा की थी। बाबा बुद्धा जी ने आजीवन गुरुओं की सेवा की, जबकि भाई मणि सिंह जी ने धर्म की रक्षा करते हुए बलिदान दिया। “ऐसे महापुरुषों के पद को विवादों में घसीटना, निंदनीय है।”
सरना ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी से आग्रह किया कि इस विषय पर तुरंत संज्ञान लिया जाए। उन्होंने कहा कि जब किसी धार्मिक पदाधिकारी ने स्वयं कोर्ट का रास्ता चुना है, तो उन्हें धार्मिक सेवा से मुक्त कर केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियां सौंपी जानी चाहिए, जैसा कि सेवा नियमों में उल्लेखित है।
अपने वक्तव्य के अंत में सरना ने यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति, जो सिख धर्म के महत्वपूर्ण पदों पर है, फिर भी सिख सिद्धांतों और मर्यादाओं को नहीं समझ पाता, तो वह संगत के सामने गलत उदाहरण पेश करता है। ऐसे लोगों से धर्म और परंपरा की रक्षा की अपेक्षा नहीं की जा सकती।