Gold Price Crash: सोने-चांदी में बड़ी गिरावट तय? एक्सपर्ट बोले – जल्द टूट सकते हैं दाम 50% तक!

Edited By Updated: 06 Oct, 2025 07:43 PM

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सोने और चांदी में अब तक बेतहाशा तेजी देखने को मिली, लेकिन अब बाजार में एक नया डर पैदा हो गया है। जहां निवेशक अभी तक सोने-चांदी की चमक में डूबे थे, वहीं अब वेल्थ मैनेजमेंट फर्म PACE 360 के को-फाउंडर और चीफ ग्लोबल स्ट्रैटेजिस्ट अमित गोयल ने बड़ा अलर्ट...

नेशनल डेस्क:  सोने और चांदी में अब तक बेतहाशा तेजी देखने को मिली, लेकिन अब बाजार में एक नया डर पैदा हो गया है। जहां निवेशक अभी तक सोने-चांदी की चमक में डूबे थे, वहीं अब वेल्थ मैनेजमेंट फर्म PACE 360 के को-फाउंडर और चीफ ग्लोबल स्ट्रैटेजिस्ट अमित गोयल ने बड़ा अलर्ट जारी किया है। उनका मानना है कि यह तेजी एक ‘रिफ्लेशनरी बबल’ है, जो जल्द ही फट सकता है।

क्या वाकई गिर सकते हैं दाम?
अमित गोयल का कहना है कि यह तेजी अब अपने अंतिम चरण में है। उनके अनुसार, आने वाले 12 महीनों में गोल्ड में 30-35% और सिल्वर में 50% तक की गिरावट हो सकती है। उन्होंने बीते दशकों के दो बड़े उदाहरण दिए – 2007-08 और 2011, जब इसी तरह की रैली के बाद भारी करेक्शन आया था।

अभी रिकॉर्ड हाई, लेकिन आगे क्या?
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना करीब $4,000 प्रति औंस और चांदी लगभग $50 प्रति औंस पर कारोबार कर रही है। ये स्तर मनोवैज्ञानिक रूप से बेहद अहम माने जाते हैं। लेकिन गोयल के मुताबिक, यहीं से बिकवाली की तेज शुरुआत हो सकती है। उनका कहना है कि बीते चार दशकों में केवल दो बार ऐसा हुआ है जब सोना-चांदी इस स्तर तक पहुंचे और उसी दौरान डॉलर इंडेक्स कमजोर रहा - और दोनों बार इसके बाद तगड़ा करेक्शन देखने को मिला।

कितनी बड़ी गिरावट की आशंका?
गोयल का अनुमान है कि अगले 12 महीनों में सोने में 30-35% तक, और चांदी में 50% तक की गिरावट संभव है। उन्होंने 2007-08 की फाइनेंशियल क्राइसिस और 2011 की मेटल क्रैश के उदाहरण दिए, जब दोनों धातुओं में तेज उछाल के बाद धड़ाम गिरावट आई थी। उनके मुताबिक, गोल्ड की कीमतें फिसलकर $2,600–$2,700 प्रति औंस तक आ सकती हैं। वहीं, चांदी की कीमत में आधे तक की गिरावट मुमकिन है। यह गिरावट इसलिए भी अहम है क्योंकि वहीं से लॉन्ग-टर्म निवेश का असली मौका पैदा होगा।

क्या मंदी खा जाएगी मेटल्स की चमक?
गोयल का एक और बड़ा दावा है - अगले 2 से 3 सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था, खासकर अमेरिका, मंदी की चपेट में आ सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो चांदी की औद्योगिक मांग – जैसे कि सोलर पैनल, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर - में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। इससे चांदी की खपत में सालों बाद गिरावट हो सकती है, जो कीमतों पर नकारात्मक असर डालेगी।

निवेशकों के लिए चेतावनी और सलाह
गोयल साफ कहते हैं कि फिलहाल मुनाफावसूली का वक्त है। यह रैली कुछ और हफ्ते या महीने चल सकती है, लेकिन टिकाऊ नहीं है। असली निवेश का समय तब आएगा, जब बाजार करेक्शन के बाद स्थिर होगा और कीमतें नीचे जाकर मजबूत आधार बनाएं।

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