Edited By Sahil Kumar,Updated: 15 Dec, 2025 07:41 PM

वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के कारण हाल के महीनों में सोने और चांदी की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने संसद में बताया कि निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे मांग बढ़ी है। कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार,...
नेशनल डेस्कः वैश्विक स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के बीच सोने और चांदी की कीमतों में हाल के महीनों में तेज़ उछाल देखने को मिला है। सरकार ने संसद में बताया कि निवेशकों के सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर बढ़ते रुझान के चलते कीमती धातुओं की मांग बढ़ी है, जिसका सीधा असर इनके दामों पर पड़ा है।
सोने-चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण
सरकार ने स्पष्ट किया है कि हाल के महीनों में सोने और चांदी की कीमतों में आई तेज़ बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता है। इन परिस्थितियों में निवेशक जोखिम भरे निवेश विकल्पों से हटकर सुरक्षित माने जाने वाले साधनों, जैसे सोना और चांदी, की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि भारत में सोने और चांदी की कीमतें मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तय होने वाले भाव, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर तथा देश में लागू करों और शुल्कों पर निर्भर करती हैं।
सरकार ने बताई बजह
मंत्री ने कहा कि जब वैश्विक स्तर पर युद्ध जैसे हालात बनते हैं, मंदी की आशंका बढ़ती है या आर्थिक अस्थिरता गहराती है, तब निवेशक शेयर बाजार जैसे जोखिमपूर्ण साधनों से निकलकर सोने-चांदी जैसी सुरक्षित संपत्तियों में निवेश करते हैं। इससे इन कीमती धातुओं की मांग बढ़ती है और कीमतों में उछाल आता है। इसके अलावा दुनिया भर के केंद्रीय बैंक और बड़े वित्तीय संस्थान भी बड़ी मात्रा में सोने की खरीद कर रहे हैं, जिससे मांग और मजबूत हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि चालू वर्ष में सोने और चांदी के दाम बढ़े हैं, लेकिन इसका असर सभी राज्यों और समाज के सभी वर्गों पर समान रूप से नहीं पड़ता। अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में इन धातुओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व अलग-अलग है। सोना और चांदी केवल उपभोग की वस्तु नहीं हैं, बल्कि निवेश का महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं और अनिश्चित समय में इन्हें सुरक्षित संपत्ति माना जाता है।
मंत्री के अनुसार, कीमतों में बढ़ोतरी से उन परिवारों की संपत्ति का मूल्य बढ़ता है, जिनके पास पहले से सोना और चांदी मौजूद है, जिससे घरेलू संपत्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कीमती धातुओं की कीमतें पूरी तरह बाजार आधारित होती हैं और सरकार इनके मूल्य निर्धारण में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाती। आंकड़ों का उल्लेख करते हुए पंकज चौधरी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में सितंबर तक भारत ने लगभग 26.51 अरब डॉलर का सोना और 3.21 अरब डॉलर की चांदी का आयात किया है, जो देश में इन कीमती धातुओं की मजबूत घरेलू मांग को दर्शाता है।