8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद: बिहार चुनाव से पहले मोदी सरकार दे सकती है 8वें वेतन आयोग का बड़ा तोहफा

Edited By Updated: 25 Sep, 2025 12:02 PM

government employees hopeful modi government may give a big gift of 8th pay

जीएसटी दरों में कटौती के बाद अब केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी 8वें वेतन आयोग के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सरकार 8वें वेतन आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकती...

नेशनल डेस्क: जीएसटी दरों में कटौती के बाद अब केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी 8वें वेतन आयोग के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सरकार 8वें वेतन आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकती है, जिससे आयोग का कामकाज शुरू हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम नरेंद्र मोदी सरकार की एक बड़ी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

गठन में हो रही देरी
8वें वेतन आयोग की घोषणा इस साल जनवरी में हुई थी, लेकिन अब तक न तो आयोग के सदस्यों की नियुक्ति हुई है और न ही उसके काम करने के नियम (ToR) तय किए गए हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी वेतन आयोग की रिपोर्ट को तैयार करने और उसे लागू होने में आमतौर पर 1.5 से 2 साल का समय लगता है। ऐसे में, भले ही आयोग का गठन अभी हो जाए, इसका असर 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत से पहले दिखना मुश्किल है।

सरकार के पास क्या हैं विकल्प?
संकेत देना: संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री आर.के. वर्मा का कहना है कि सरकार सिर्फ बोर्ड का गठन या आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करके ही कर्मचारियों और पेंशनरों को यह संदेश दे सकती है कि उनकी मांगों पर काम शुरू हो गया है।
चुनावी दांव: जीएसटी दरों में कटौती को 'दिवाली गिफ्ट' की तरह पेश करने के बाद, सरकार 8वें वेतन आयोग की घोषणा को अगले बड़े चुनावी दांव के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है।


सरकार पर कितना पड़ेगा वित्तीय बोझ?
यह कदम सरकार के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती भी है। अगर 8वां वेतन आयोग लागू होता है, तो सरकार पर 2.4 से 3.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो देश की जीडीपी का 0.6 से 0.8 प्रतिशत है। हालांकि, फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेतन आयोग लागू होने के बाद बाजार में खपत बढ़ जाती है, जिससे अर्थव्यवस्था में अस्थायी उछाल आता है और सरकार को राजनीतिक फायदा भी मिल सकता है। फिलहाल, वित्त मंत्रालय ने रक्षा, गृह और और कार्मिक जैसे मंत्रालयों के साथ इस मुद्दे पर शुरुआती बातचीत शुरू कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार चुनाव से पहले आयोग का गठन करती है या नहीं।

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