Himachal Election Result 2022: जब 1998 में BJP विधायक का हुआ किडनैप, मोदी ने ऐसे बनाई थी सरकार

Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Dec, 2022 10:57 AM

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1998 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव हुआ था तो नरेंद्र मोदी हिमाचल के चुनाव प्रभारी थे। उस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को बहुमत नहीं मिला था।

नेशनल डेस्क: 1998 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव हुआ था तो नरेंद्र मोदी हिमाचल के चुनाव प्रभारी थे। उस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को बहुमत नहीं मिला था। इस चुनाव में रमेश धवाला टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा से बगावत कर बैठे थे। वह पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार गुट से थे। रमेश धवाला निर्दलीय चुनाव जीते थे। तीन सीटों पर भारी बर्फबारी के कारण चुनाव नहीं हुए थे। कांग्रेस 31 सीटों पर जीती थी और भाजपा ने 29 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा के एक विधायक का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। सरकार बनाने के लिए 35 विधायकों की आवश्यकता थी। इस दौरान भाजपा से बागी होकर बने विधायक रमेश धवाला का अपहरण हो गया था परंतु तत्कालीन प्रभारी पीएम नरेंद्र मोदी की सूझबूझ से भाजपा सरकार बनी थी।

 

क्या थे राजनीतिक समीकरण

सरकार बनाने की जोर-आजमाइश जारी थी। जेपी नड्डा की ड्यूटी लगाई गई कि वह रमेश धवाला को मनाएं। धवाला ने भाजपा को समर्थन देने के लिए शर्त रख दी कि प्रेम कुमार धूमल के बदले शांता कुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए। पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस ने भाजपा को समर्थन दे दिया। इस तरह भाजपा गुट के विधायकों की संख्या भी 32 हो गई। हालांकि वह अब भी बहुमत के आंकड़े से पीछे थी।

 

धवाला का ऐसे हुआ था अपहरण

उधर, चुनाव से पहले दिवंगत पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह को भरोसा था कि वह सत्ता में दोबारा वापस आएंगे, लेकिन परिणाम अनुकूल नहीं आया था। रमेश धवाला जब शिमला की तरफ आ रहे थे तो उनका एक तरह से अपहरण हो गया। उन्हें उठा लिया गया, फिर अचानक एक प्रैस कांफ्रैंस में धवाला ने बताया कि वह वीरभद्र सिंह को अपना समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने एक और विधायक के समर्थन का दावा किया था। वीरभद्र सिंह ने तत्कालीन राज्यपाल रमा देवी के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। रात के 2 बजे विधायकों की परेड हुई और वीरभद्र सिंह की सरकार बन गई।

 

धवाला को मिला था मंत्री पद

सरकार तो वीरभद्र की जरूर बन गई लेकिन खतरा मंडरा रहा था, क्योंकि समर्थन देने वाला विधायक भाजपा का बागी था। रमेश धवाला को सरकार में मंत्री पद दिया गया। धवाला को मुख्यमंत्री आवास में रखा गया था, वहां इतनी सुरक्षा थी कि वह किसी से न तो बात कर सकते थे और न ही किसी से मिल सकते थे। जब वे सचिवालय आते थे तो उनके साथ पुलिस की एक बड़ी टीम होती थी। ये सब पूरे 6 दिन तक चला। किसी भी तरह के दबाव के सवाल को वह खारिज कर देते थे।

 

नैपकिन पर भिजवाया मैसेज, गिर गई कांग्रेस सरकार

फिर नरेंद्र मोदी ने प्रैस कांफ्रैंस कर कहा कि रमेश धवाला को हम वापस लाएंगे और सीएम. आवास में एक वेटर के जरिए नैपकिन पर रमेश धवाला के लिए एक संदेश भेजा गया। उसके बाद रमेश धवाला को सीएम आवास से कैसे निकालना है संदेश भेजा गया तथा जब धवाला सचिवालय जा रहे थे तो रास्ते में भाजपा के राकेश पठानिया गाड़ी लेकर आए थे और धवाला उस गाड़ी में सवार होकर चले गए। फिर नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल को फोन कर बताया कि सरकार का विधायक उन्हें समर्थन दे रहा है इसलिए भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए। इस तरह कांग्रेस की सरकार गिर गई। 

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