Edited By Harman Kaur,Updated: 21 Aug, 2025 07:25 PM

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को विपक्ष से 130 वें संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ अपने विरोध पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह विधेयक “लोकतंत्र में जनता का विश्वास बहाल करने” की दिशा में एक कदम है।
नेशनल डेस्क: असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को विपक्ष से 130 वें संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ अपने विरोध पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह विधेयक “लोकतंत्र में जनता का विश्वास बहाल करने” की दिशा में एक कदम है।
अमित शाह ने पेश किए ये 3 बिल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक-2025, संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक-2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2025 पेश किए। इन विधेयकों में गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए गए और लगातार 30 दिन हिरासत में रखे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है।
'विपक्ष को बिल के विरोध पर पुनर्विचार करना चाहिए'
तीनों विधेयक को विपक्षी सदस्यों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने इसे “संविधान और संघवाद की भावना के खिलाफ” बताया है। गुवाहाटी में संवाददाताओं से बातचीत में शर्मा ने कहा कि विपक्षी दलों ने इन विधेयकों की गलत व्याख्या की है और किसी भी निर्वाचित सरकार को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, “ये विधेयक लोकतंत्र और शासन में जनता का विश्वास बहाल करने की दिशा में एक कदम हैं। विपक्ष को इनके विरोध पर पुनर्विचार करना चाहिए और इनका समर्थन करना चाहिए।”
शर्मा ने कहा, “उन 30 दिन में... आरोपी के पास हिरासत को चुनौती देने के लिए कई कानूनी विकल्प होंगे। विधेयक में प्रावधान है कि अगर किसी मौजूदा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें 30 दिन के भीतर जमानत लेनी होगी। ऐसा न करने पर गिरफ्तारी की प्रथम दृष्टया वैधता स्थापित हो जाती है।”
उन्होंने कहा कि विधेयकों के जरिए निर्वाचित सरकार को गिराने का विपक्ष का दावा पूरी तरह से गलत व्याख्या है। विधेयकों पर विपक्ष की आलोचना पर अपनी संक्षिप्त प्रतिक्रिया में शाह ने सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए कहा था, “हम इतने बेशर्म नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों का सामना करते हुए भी संवैधानिक पदों पर बने रहें।”