भाजपा के लिए ऐतिहासिक दिन, देश के तीन सर्वोच्च पदों पर संघी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 09:00 PM

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भारतीय जनता पार्टी के लिए आज ऐतिहासिक दिन है जब उपराष्ट्रपति पद के लिए एम. वेंकैया नायडू के निर्वाचित होने के साथ ही राष्ट्रपति...

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के लिए आज ऐतिहासिक दिन है जब उपराष्ट्रपति पद के लिए एम. वेंकैया नायडू के निर्वाचित होने के साथ ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के शीर्ष चार संवैधानिक पदों पर उसकी विचारधारा के नेता विराजमान हो गए हैं। भाजपा और उसके वैचारिक अधिष्ठान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए यह ऐतिहासिक अवसर है कि चार शीर्ष पदों पर पहली बार उसकी विचारधारा वाले नेता पहुंचे हैं

देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर RSS का वर्चस्व
पिछले महीने रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए थे जो लंबे समय तक भाजपा के सदस्य रहे हैं। नायडू भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी लंबे समय तक भाजपा की सदस्य रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के प्रचारक रहे हैं और भाजपा के शीर्ष नेता हैं।  वर्ष 2014 के लोकसभा के चुनाव में राजग को प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड में भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों को मिली जीत से संघ परिवार भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण पायदान पर आ खड़ा हुआ है।

राज्यसभा में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
दो दिन पहले ही भाजपा ने राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने का दर्जा हासिल किया। भाजपा के लिए इस मुकाम पर पहुंचने की यात्रा आसान नहीं रही। दशकों तक उसकी विचारधारा को सांप्रदायिक बताकर राजनीतिक रूप से उसे अछूत बना दिया गया था। वर्ष 1980 में गठित इस पार्टी को 1984 के चुनाव में लोकसभा में मात्र दो सीटें मिलीं लेकिन राममंदिर आंदोलन के साथ भाजपा ने देश में हिन्दुत्व की विचारधारा को राजनीति के केन्द्र में ला दिया। उसने 1990 के दशक में अपना जनाधार एवं स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए उदारवादी छवि वाले अटल बिहारी वाजपेयी को चेहरा बनाया।

1999 में भैरों सिंह शेखावत बने थे संघ समर्थित पहले उप राष्ट्रपति 
 भाजपा 1996 के चुनाव में शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के साथ लड़कर 161 सीटें ही हासिल कीं और केंद्र में  वाजपेयी की अगुवाई में पहली बार सरकार बनाई, जो केवल 13 दिन चल पाई। बाद में 1998 के चुनाव में समता पार्टी एवं कुछ अन्य दलों के साथ मिल कर भाजपा को 182 सीटें मिलीं। इस बार उसने 13 माह सरकार चलाई और फिर 1999 में उसने सरकार बनाई जो पूरे 5 वर्ष चली। इस दौरान भाजपा अपना राष्ट्रपति तो नहीं बना पाई लेकिन अपने कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत को उप राष्ट्रपति बनवाने में सफल रही थी। शेखावत 2002- 2007 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे।

इसके बाद 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को लगातार 2 बार पराजय का मुंह देखना पड़ा। भाजपा के जमीनी आधार एवं विस्तार को मजबूत करने में सर्वाधिक योगदान देने वाले लौह पुरुष के रूप में प्रख्यात हुए लालकृष्ण आडवाणी को 2009 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

अमित शाह और मोदी के नेतृत्व में भाजपा का स्वर्ण युग
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जिसने पूरे देश का माहौल बदल दिया। इस चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिली और उसने लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया। 3 दशक बाद किसी दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत मिला था। उसके बाद मोदी की नीतियों और उनके विश्वासपात्र भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्रबल नेतृत्व में भाजपा ने राज्यों में भी तेजी से विस्तार किया और आज 18 राज्यों में खुद या सहयोगी दलों के साथ मिल कर सत्ता संभाल रही है। करीब 11 करोड़ सदस्यों के साथ भाजपा विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में बदल चुकी है।  

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