Marriage Certificate नहीं है तो क्या तलाक नहीं मिलेगा? जानें इलाहाबाद हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Edited By Updated: 30 Aug, 2025 11:25 AM

if there is no marriage certificate will you not get a divorce know the

अगर आपने अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और अब तलाक लेना चाहते हैं, तो इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक हालिया फैसला आपके लिए बड़ी राहत लेकर आया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सिर्फ इसलिए कि आपकी शादी रजिस्टर्ड नहीं है, आपकी शादी को अमान्य नहीं माना...

नेशनल डेस्क: अगर आपने अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और अब तलाक लेना चाहते हैं, तो इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक हालिया फैसला आपके लिए बड़ी राहत लेकर आया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सिर्फ इसलिए कि आपकी शादी रजिस्टर्ड नहीं है, आपकी शादी को अमान्य नहीं माना जा सकता और न ही इस वजह से तलाक की प्रक्रिया को रोका जा सकता है।

क्या था पूरा मामला?
यह मामला आजमगढ़ के रहने वाले सुनील दुबे और उनकी पत्नी मीनाक्षी का है। दोनों ने 23 अक्टूबर, 2024 को आपसी सहमति से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दी थी। लेकिन फैमिली कोर्ट ने एक शर्त रख दी: उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट जमा करने के लिए कहा गया, जिसे वे जमा नहीं कर पाए। सुनील ने बताया कि उनकी शादी 27 जून, 2010 को हुई थी, जब शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं था। उनकी पत्नी भी इस बात से सहमत थीं, लेकिन फैमिली कोर्ट ने उनकी अर्जी को खारिज कर दिया। इसके बाद, सुनील ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाई कोर्ट ने दिया स्पष्ट फैसला
जस्टिस मनीष कुमार निगम की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और एक बेहद अहम फैसला सुनाया।
रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक सबूत है: कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 8(5) के अनुसार, अगर किसी हिंदू विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, तो भी वह पूरी तरह से वैध है। रजिस्ट्रेशन सिर्फ शादी का एक सबूत है, न कि उसकी वैधता का आधार।
फैमिली कोर्ट का फैसला गलत: हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के मैरिज सर्टिफिकेट पर जोर देने को अनुचित बताया। कोर्ट ने कहा कि जब कानून खुद यह कहता है कि रजिस्ट्रेशन के बिना भी शादी वैध है, तो तलाक के लिए इसे अनिवार्य बनाना गलत है।
कानून का मकसद सुविधा देना है: कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि शादी के रजिस्ट्रेशन का मकसद लोगों को सुविधा देना है, न कि उनके रास्ते में अड़चनें डालना।


आम लोगों के लिए क्या है मतलब?
इस फैसले का उन लाखों जोड़ों पर सीधा असर होगा, जिनकी शादी काफी पहले हुई थी और जिनके पास मैरिज सर्टिफिकेट नहीं है। अब फैमिली कोर्ट केवल कागजी कार्रवाई की कमी के कारण तलाक के मामलों को लटका नहीं पाएंगी। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है और निर्देश दिया है कि सुनील और मीनाक्षी की तलाक की अर्जी पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए।

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