IISc की बर्ड फ्लू पर चेतावनी, बढ़ रहा है इंसानों में संक्रमण का खतरा

Edited By Updated: 14 Aug, 2025 07:20 PM

iisc warns about bird flu the risk of infection in humans is increasing

बीते कुछ वर्षों में बर्ड फ्लू यानी H5N1 वायरस को लेकर दुनियाभर में चिंता लगातार बढ़ रही है। करीब तीन दशक पहले पक्षियों में मिला यह वायरस अब इंसानों तक पहुंचने लगा है। H5N1 दरअसल एक प्रकार का इंफ्लूएंजा वायरस है, जो मुख्य रूप से नाक और गले को...

नेशनल डेस्कः बीते कुछ वर्षों में बर्ड फ्लू यानी H5N1 वायरस को लेकर दुनियाभर में चिंता लगातार बढ़ रही है। करीब तीन दशक पहले पक्षियों में मिला यह वायरस अब इंसानों तक पहुंचने लगा है। H5N1 दरअसल एक प्रकार का इंफ्लूएंजा वायरस है, जो मुख्य रूप से नाक और गले को संक्रमित करता है। H5 का मतलब है हेमाग्लूटिनिन (Hemagglutinin) और N1 का अर्थ है न्यूरामिनिडेज़ (Neuraminidase) ये दोनों प्रोटीन वायरस को शरीर में घुसने में मदद करते हैं।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बेंगलुरु के बायोकैमिस्ट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. केशवर्धन सन्नुला और उनकी रिसर्च टीम ने हाल ही में एक अहम खोज की है। उन्होंने पाया कि फिलहाल जो H5N1 वायरस का 2.3.4.4b क्लेड (Clade) फैल रहा है, उसमें ऐसे जेनेटिक म्यूटेशन हो रहे हैं, जो इसे इंसानों में फैलने लायक बना रहे हैं। 'क्लेड' शब्द का मतलब है वायरस के वे समूह जो एक ही पूर्वज से उत्पन्न हुए हैं।

इंसानों पर मंडरा रहा खतरा

रिसर्च के अनुसार, H5N1 का यह नया क्लेड अब तक कई स्तनधारी जीवों (mammals) जैसे गाय, सील और लोमड़ियों में पाया जा चुका है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायरस इन स्तनधारियों के शरीर में एडजस्ट हो रहा है, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि अब इंसानों में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ चुका है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि लोमड़ी में मिला H5N1 वायरस स्ट्रेन, गायों में पाए गए स्ट्रेन की तुलना में इंसानों में फैलने की ज्यादा क्षमता रखता है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि वायरस में वैसी ही जेनेटिक म्यूटेशन हो रही हैं, जैसी पहले पैंडेमिक फ्लू वायरसों में देखी गई थीं।

वायरस कैसे करता है शरीर पर हमला?

H5N1 वायरस की सतह पर मौजूद हेमाग्लूटिनिन (HA) और न्यूरामिनिडेज़ (NA) जैसे प्रोटीन यह तय करते हैं कि वायरस किस प्रकार से शरीर की कोशिकाओं से जुड़ेगा और उनमें फैलेगा। जब यह वायरस किसी नए जीव जैसे कि पक्षी से इंसान में प्रवेश करता है, तो उसे उस जीव की प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर का तापमान, और कोशिकाओं के रिसेप्टर्स के अनुसार अपने प्रोटीन में बदलाव करने पड़ते हैं। यही म्यूटेशन वायरस को नए होस्ट में जीवित रहने और फैलने की ताकत देता है।

निगरानी और टेस्टिंग की बढ़ती जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस पर नजर रखने के लिए निगरानी और टेस्टिंग की व्यवस्था को और सख्त करना होगा। खासतौर पर उन इलाकों में जहां इंसानों और जानवरों के बीच संपर्क अधिक होता है  जैसे पोल्ट्री फार्म, खेत, और जंगली इलाकों में। यह भी जरूरी है कि संक्रमित पशुओं की जल्द पहचान हो और रोकथाम के लिए जरूरी कदम तुरंत उठाए जाएं।

हालांकि फिलहाल यह वायरस वैश्विक महामारी नहीं बना है, लेकिन वैज्ञानिकों की चेतावनी को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। H5N1 का यह नया रूप भविष्य में बड़ी महामारी का कारण बन सकता है। ऐसे में इसकी मॉनिटरिंग, रिसर्च और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी हो गया है।

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