Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Dec, 2025 10:48 AM

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में दिए गए लगातार दो निर्देशों ने तकनीकी कंपनियों और स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन आदेशों से कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर असर पड़ सकता है, साथ ही यूजर्स की प्राइवेसी...
नई दिल्ली/मुंबई: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में दिए गए लगातार दो निर्देशों ने तकनीकी कंपनियों और स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन आदेशों से कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर असर पड़ सकता है, साथ ही यूजर्स की प्राइवेसी और कम्युनिकेशन अनुभव भी प्रभावित हो सकता है।
संचार साथी ऐप अनिवार्य:
टेलीकॉम विभाग (DoT) ने सभी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे 90 दिनों के भीतर अपने नए फोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ को प्री-इंस्टॉल करें। इसके साथ ही कंपनियों को 120 दिनों में अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।
OTT ऐप्स पर SIM-बाइंडिंग:
समानांतर रूप से WhatsApp, Telegram जैसे OTT कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म्स को भी SIM-बाइंडिंग के नियमों का पालन करना होगा। इसका मतलब है कि इन ऐप्स को केवल उसी SIM के साथ इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे उपयोगकर्ता ने पहली बार रजिस्टर किया था।
तकनीकी कंपनियों की प्रतिक्रिया:
तकनीकी उद्योग ने इन आदेशों को ‘DoT का अधिभार’ बताया है और कुछ कंपनियां कानूनी चुनौती पर विचार कर रही हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदेश यूजर एक्सपीरियंस को प्रभावित कर सकता है और WhatsApp जैसे ऐप्स के सामान्य वर्कफ्लो में व्यवधान ला सकता है।
केंद्र का तर्क:
DoT का कहना है कि ये आदेश Telecommunications Act के तहत जारी किए गए हैं और डिजिटल फ्रॉड, स्पैम कॉल और साइबर स्कैम्स से निपटने के लिए जरूरी हैं।
खुली चुनौतियां:
विशेषज्ञों का कहना है कि इन आदेशों में कई बिंदुओं पर स्पष्टता की आवश्यकता है, जैसे कि प्राइवेसी गारंटी, तकनीकी जटिलताएं और कंपनियों के संचालन पर संभावित प्रभाव।