पितृपक्ष में अगर आपको भी सपने में दिखाई देते हैं मृतक पूर्वज, तो जानिए क्या है इसके संकेत और जरूरी उपाय

Edited By Updated: 16 Sep, 2025 09:14 PM

in pitripaksh seeing deceased ancestors in dreams meaning and remedies

श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हुए तर्पण, पिंडदान और दान का आयोजन होता है। सपनों में पितरों का आना मन की स्थिति का प्रतिबिंब होता है। यदि पितृ प्रसन्न हों तो घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, जबकि नाराजगी से चिंता और समस्याएं बढ़ती...

नेशनल डेस्क: श्राद्ध पक्ष के दौरान देशभर में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा के तहत तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य का आयोजन किया जा रहा है। इस बीच, लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि सपनों में दिखने वाले पितृजन क्या कोई संकेत देते हैं? क्या ये स्वप्न शुभ होते हैं या अशुभ? पौराणिक ग्रंथों एवं विशेषज्ञों के अनुसार, पितरों के सपनों में प्रकट होना गहरे अर्थ लिए होता है। इसलिए जानना आवश्यक हो जाता है कि इन स्वप्नों का क्या मतलब है और ये हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

मन की स्थिति का प्रतिबिंब
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व स्कॉलर आचार्य हिमांशु उपमन्यु का कहना है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान यदि कोई अपने मृत पूर्वजों को सपनों में देखता है तो इसे बुरा संकेत नहीं माना जाना चाहिए। यह मन की वर्तमान स्थिति का प्रतिबिंब मात्र होता है। पितृ पक्ष के समय वातावरण ऐसा होता है कि हम अपने पितरों को अधिक याद करते हैं, इसलिए उनका सपनों में आना स्वाभाविक है। हालांकि, यदि सपनों में पितृजन कोई संकेत दे रहे हों, तो इसके पीछे गहरा अर्थ भी हो सकता है।

पितृ प्रसन्नता और नाराजगी के संकेत
पितृ प्रसन्न हों तो इसका असर घर-परिवार और मानसिक स्थिति पर सकारात्मक रूप से दिखाई देता है। घर का माहौल सुखद और सुगंधित होता है, मन में शांति बनी रहती है और कार्यों में सफलता मिलती है। वहीं, यदि पितृ नाराज हों तो मन में बेचैनी, चिंता और मानसिक तनाव बढ़ता है। खान-पान प्रभावित होता है और छोटी-छोटी परेशानियां आम हो जाती हैं। ऐसे संकेतों को नजरअंदाज न करें और समय रहते पितरों के लिए तर्पण, दान और श्राद्ध कर्म करें।

पौराणिक ग्रंथों में मिलता है उल्लेख
पितरों के स्वप्न में आने का उल्लेख महाभारत, रामायण सहित अनेक पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। महाभारत में राजा शांतनु ने अपने पुत्र भीष्म को सपने में दर्शन देकर आगामी संकट के प्रति चेताया था। धृतराष्ट्र को उनके पूर्वजों की आवाजें सुनाई दी थीं, जिन्होंने उन्हें अन्याय करने पर फटकार लगाई थी। गांधारी ने वंश नाश के स्वप्न देखे थे। पांडु को भी स्वप्न में पितरों ने पितृ ऋण की याद दिलाई थी। रामायण में राजा दशरथ ने श्रीराम को सपनों में आशीर्वाद दिया था। इन कथाओं से स्पष्ट होता है कि पितरों के स्वप्नों का समय भले कोई भी हो, पर उनके भाव और स्थिति महत्वपूर्ण होती है।

अधूरी इच्छा या तर्पण की आवश्यकता
सपनों में पितृ प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दें तो यह शुभ संकेत होता है और उनकी प्रसन्नता तथा आशीर्वाद का प्रतीक है। यदि वे रोते हुए, बीमार या परेशान दिखें तो यह अधूरी इच्छाओं या नाराजगी का संकेत हो सकता है। अजीब हंसी और टूटे दांत स्वास्थ्य या आर्थिक संकट का संकेत होते हैं। महिला पूर्वजों का उलझे बालों में दिखना पारिवारिक तनाव को दर्शाता है। मृत पूर्वजों से बात करना या आवाज देना भविष्य में किसी बड़े बदलाव की चेतावनी हो सकती है। यदि पूर्वज सपने में बाल संवारते दिखें, तो वे आपकी समस्याओं को समझकर मदद कर रहे हैं। बार-बार एक ही पितृ का आना अधूरी इच्छा या तर्पण की आवश्यकता की ओर इशारा करता है।

सपनों में बार-बार दिखें पितर तो क्या करें?
बार-बार पितरों का सपने में दिखना इस बात का संकेत हो सकता है कि उनकी कोई अधूरी इच्छा है या उन्हें श्राद्ध, तर्पण या दान की आवश्यकता है। संभव है कि उन्हें सम्मानपूर्वक याद नहीं किया गया हो या उनका कोई धार्मिक कर्म पूरा न हुआ हो। ऐसी स्थिति में अमावस्या या पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्वक श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोजन और दान करना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

पितरों की शांति के लिए अपनाएं ये उपाय

- अमावस्या तिथि पर गरीबों को भोजन कराएं।

- गाय को रोटी खिलाएं।

- पितरों के नाम से ब्राह्मणों को दान दें।

- पिंडदान या तर्पण करवाएं।

- घर में तुलसी का पौधा लगाएं और रोज दीपक जलाएं।

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