भारत 6G की रेस में सबसे आगे: 2030 तक लॉन्चिंग का लक्ष्य, जानें 4G, 5G और 5.5G में क्या है बड़ा अंतर?

Edited By Updated: 11 Oct, 2025 05:19 AM

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भारत 2030 तक 6G नेटवर्क लॉन्च करने की दौड़ में अग्रणी देशों में शामिल होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने MWC 2025 में इसकी घोषणा की। देश में पहले 4G, 4.5G और 5G सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और अब 5.5G या 5G-एडवांस की तैयारी चल रही है। नई नेटवर्क जेनरेशन उच्च...

नेशनल डेस्क : दुनियाभर में 6G नेटवर्क टेक्नोलॉजी की चर्चा जोरों पर है, और भारत भी इस रेस में पीछे नहीं है। मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस (MWC 2025) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा, जो 2030 तक 6G नेटवर्क लॉन्च करेंगे। इसके लिए टेस्ट बेड भी तैयार हो चुका है। भारत में 4G सर्विस 2014 में शुरू हुई थी, जिसके बाद 4.5G और 5G ने भी अपनी जगह बनाई। अब 5.5G या 5G-एडवांस (5G-A) के लॉन्च की तैयारी चल रही है। आइए, जानते हैं कि 4G, 4.5G, 5G और 5.5G में क्या अंतर है और टेलीकॉम नेटवर्क की नंबरिंग प्रक्रिया कैसे काम करती है।

4G, 4.5G, 5G और 5.5G: एक नजर में अंतर
4G, 4.5G, 5G और 5.5G वायरलेस नेटवर्क की अलग-अलग पीढ़ियां (जेनरेशन) हैं, जहां 'G' का मतलब जेनरेशन है। प्रत्येक नई पीढ़ी के साथ इंटरनेट स्पीड, कनेक्टिविटी और डेटा ट्रांसफर की क्षमता में सुधार होता है।

4G (चौथी पीढ़ी): 4G, जिसे लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) भी कहा जाता है, ने हाई-स्पीड इंटरनेट और उच्च गुणवत्ता वाली ऑडियो-वीडियो कॉलिंग को आम लोगों तक पहुंचाया। इसने हाई-क्वालिटी वीडियो स्ट्रीमिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइसेज को लोकप्रिय बनाया। 4G की औसत स्पीड 100 Mbps तक हो सकती है।

4.5G: यह 4G और 5G के बीच का एक मध्यवर्ती चरण है। 4G से तेज और बेहतर डेटा ट्रांसफर क्षमता के साथ, 4.5G ने वॉइस ओवर LTE (VoLTE) को संभव बनाया, जिसके जरिए कॉल के साथ-साथ इंटरनेट का उपयोग भी हो सकता है। यह तकनीक 4G की तुलना में अधिक बैंडविथ और बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करती है।

5G (पांचवीं पीढ़ी): 5G को भारत में 2022 में कमर्शियल रूप से लॉन्च किया गया था। यह 4G से 10 गुना तेज है और 1 Gbps तक की स्पीड दे सकता है। महज तीन साल में देश के 99% जिले 5G से जुड़ चुके हैं। यह नेटवर्क हाई-स्पीड डेटा, कम लैटेंसी और बेहतर ऑडियो-वीडियो कॉलिंग प्रदान करता है।

5.5G (5G-एडवांस): 5.5G, जिसे 5G-A भी कहा जाता है, 5G और 6G के बीच का पुल है। यह 5G की क्षमताओं को और बेहतर बनाएगा, खासकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन-टू-मशीन कनेक्टिविटी के लिए। कई टेलीकॉम कंपनियां 5.5G को रोल आउट करने की प्रक्रिया में हैं।

नेटवर्क की नंबरिंग प्रक्रिया
टेलीकॉम नेटवर्क की नंबरिंग जेनरेशन के आधार पर होती है। हर नई पीढ़ी के साथ तकनीक में सुधार होता है, जिससे कनेक्टिविटी, स्पीड और डिवाइस कनेक्शन की क्षमता बढ़ती है। नई जेनरेशन में निम्नलिखित सुधार देखे जाते हैं:

कम लैटेंसी: नेटवर्क में डेटा ट्रांसफर का समय (लैटेंसी) कम होता है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया मिलती है।

उच्च बैंडविथ: डेटा ट्रांसफर की क्षमता बढ़ती है, जिससे ज्यादा डेटा तेजी से भेजा-प्राप्त किया जा सकता है।

डिवाइस डेनसिटी: एक साथ कई डिवाइस कनेक्ट हो सकते हैं, जिससे नेटवर्क कंजेशन की समस्या खत्म होती है।

MIMO तकनीक: मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट (MIMO) तकनीक के जरिए एक साथ कई डिवाइस डेटा एक्सेस कर सकते हैं।

6G की राह पर भारत
6G तकनीक 5G से भी कई गुना तेज होगी और इसे 2030 तक लॉन्च करने की योजना है। यह न केवल मोबाइल डिवाइसेज, बल्कि AI, मशीन लर्निंग और IoT के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत 6G के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल होगा। इसके लिए टेस्ट बेड तैयार हो चुका है, और टेलीकॉम कंपनियां इसे लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं।

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