भारतीय इकोनॉमी की बढ़ी रफ्तार, 7% रह सकती है GDP ग्रोथ!

Edited By Updated: 29 Oct, 2025 08:02 PM

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भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधार, आयकर में राहत और आरबीआई की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। पहले...

नेशनल डेस्क : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक चुनौतियों का संतोषजनक ढंग से सामना किया है। उन्होंने भरोसा जताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

नागेश्वरन ने भारत समुद्री सप्ताह (आईएमडब्ल्यू) में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि तीन वैश्विक साख निर्धारण एजेंसियों ने हाल ही में भारत की रेटिंग बढ़ाई है। यदि देश इसी राह पर आगे बढ़ता रहा, तो वह जल्द ही 'ए' रेटिंग कैटेगरी में आ सकता है। शिक्षाविद से नीति सलाहकार बने नागेश्वरन ने अर्थव्यवस्था के जुझारूपन की सराहना की और कहा कि सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उठाए गए कदमों ने अर्थव्यवस्था को 'आरामदायक स्थिति' में रखा है।

जीडीपी को मिली ताकत
सीईए ने कहा कि इस साल वैश्विक अनिश्चितताओं और शुल्क संबंधी घटनाक्रमों से निपटने में भारतीय अर्थव्यवस्था का रुख संतोषजनक रहा है। आयकर में राहत तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को युक्तिसंगत बनाने जैसे नीतिगत उपायों ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर बनाया है, जिससे ग्रोथ करीब सात प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

पहले कम किया था अनुमान
फरवरी में नागेश्वरन ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत अनुमानित की थी। हालांकि, अमेरिकी शुल्क के कारण उन्होंने इसे घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था। अब अर्थव्यवस्था की मजबूती और मांग बढ़ाने के लिए समय पर उठाए गए नीतिगत कदमों ने स्थिति को आरामदायक बना दिया है।

बैंक ऋण वृद्धि पर जवाब
बैंक ऋण वृद्धि में सुस्ती की आलोचना पर सीईए ने कहा कि निष्कर्ष निकालने के लिए अर्थव्यवस्था में कुल संसाधन जुटाने पर ध्यान देना चाहिए। इसमें गैर-बैंक ऋणदाता, वाणिज्यिक पत्र, जमा प्रमाणपत्र, इक्विटी बाजार आदि शामिल हैं। आरबीआई के आंकड़ों के हवाले से उन्होंने बताया कि पिछले छह साल में कुल संसाधन जुटाने में 28.5 प्रतिशत सालाना वृद्धि हुई है। यह टिप्पणी निजी पूंजीगत व्यय में सुस्त वृद्धि को लेकर व्याप्त चिंता के बीच आई है। नागेश्वरन ने जोर दिया कि आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की है और अर्थव्यवस्था में पर्याप्त धन उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नकदी उपाय किए हैं।

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