Edited By Pardeep,Updated: 25 Nov, 2025 10:11 PM

वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच भारत ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई–सितंबर 2025 तिमाही में भारत की जीडीपी लगभग 7.3% बढ़ने की उम्मीद है।
नेशनल डेस्कः वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच भारत ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई–सितंबर 2025 तिमाही में भारत की जीडीपी लगभग 7.3% बढ़ने की उम्मीद है। यह रफ्तार खास इसलिए भी है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है, जिससे अनिश्चितता बढ़ गई है।
किसने संभाली भारतीय अर्थव्यवस्था? गांव और सरकार बने हीरो
इस तिमाही की ग्रोथ का सबसे बड़ा कारण रहा है:
1.ग्रामीण मांग (Rural Demand)
अच्छी बारिश, बेहतर फसल और खेती से जुड़ी आय में बढ़ोतरी ने गांवों में खर्च बढ़ाया है। ग्रामीण लोग अधिक सामान खरीद रहे हैं, जिससे बाजार में तेज़ी आई।
2.घरेलू खपत (Household Consumption)
यह हमारी पूरी अर्थव्यवस्था का लगभग 60% हिस्सा है और पिछले महीनों में यह काफी मज़बूत रही। लोगों ने खरीदारी बढ़ाई जिससे बाजार में ज्यादा पैसा घूमने लगा और उद्योगों की बिक्री में सुधार आया।
3. सरकारी खर्च (Government Spending)
सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क, रेलवे, बिजली और अन्य योजनाओं पर भारी निवेश जारी रखा। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूत सहारा मिला।
ट्रंप का टैरिफ—भारत के लिए कितना खतरा?
अगस्त में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामान पर आयात शुल्क 50% तक बढ़ाने का ऐलान किया था। इसका असर यह पड़ा- विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 16 अरब डॉलर निकाल लिए। कंपनियां नए निवेश (Capex) में सावधान हो गईं और अमेरिका–भारत व्यापारिक तनाव से अनिश्चितता बढ़ गई। डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास का कहना है कि जब तक वैश्विक माहौल स्थिर नहीं होगा, निजी सेक्टर बड़े निवेश से परहेज़ करेगा।
क्या 7.3% की ग्रोथ सच में उतनी मजबूत है?
कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह तेजी थोड़ी 'तकनीकी' भी हो सकती है।
डिफ्लेटर (Deflator) बहुत कम रहा
जब महंगाई कम होती है तो GDP का वास्तविक (Real) आंकड़ा ज्यादा दिखता है।
कम महंगाई की वजह से सांख्यिकीय रूप से ग्रोथ रेट ऊपर दिख रहा है, जबकि असलियत में Nominal Growth (यानी महंगाई जोड़कर) काफी कमजोर रही हो सकती है।
भारतीय परिवारों की जेब पर बड़ा दबाव—कर्ज बढ़ा
हाल ही में सरकार ने GST कम किया, ताकि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचे और खर्च बढ़े। लेकिन ANZ बैंक के अर्थशास्त्री धीरज निम बताते हैं- भारतीय परिवार पहले से भारी कर्ज में डूबे हैं इसलिए टैक्स कटौती से बचने वाला पैसा शायद खर्च न होकर कर्ज चुकाने में इस्तेमाल होगा। इससे खपत में उतनी तेजी नहीं आ सकती, जितनी सरकार उम्मीद कर रही थी।
आगे क्या? ग्रोथ थोड़ी धीमी पड़ सकती है
अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे हैं कि अगली तिमाहियों में विकास दर 6.8% तक रह सकती है। मार्च 2026 तक यह गिरकर 6.3% तक आ सकती है। 28 नवंबर को आधिकारिक आंकड़े जारी होंगे, तब स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी।