Edited By Shubham Anand,Updated: 17 Jul, 2025 08:14 PM

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि भारत अब तेल आयात के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा कि देश ने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों में पर्याप्त विविधता ला दी है, जिससे अमेरिका द्वारा...
नेशनल डेस्क : केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि भारत अब तेल आयात के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा कि देश ने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों में पर्याप्त विविधता ला दी है, जिससे अमेरिका द्वारा रूस पर संभावित प्रतिबंधों की धमकी का भारत पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ऊर्जा वार्ता 2025 के दौरान केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि भारत अब 40 से अधिक देशों से कच्चा तेल खरीदता है, जबकि वर्ष 2007 में यह संख्या महज 27 थी। उन्होंने कहा, “आज वैश्विक बाजार में तेल की कोई कमी नहीं है। ईरान और वेनेजुएला जैसे देश अभी प्रतिबंधों के अधीन हैं, लेकिन यह हमेशा के लिए नहीं रहेगा। ब्राजील, कनाडा जैसे देश उत्पादन बढ़ा रहे हैं। हम अपनी आपूर्ति को लेकर अनावश्यक रूप से चिंतित नहीं हैं क्योंकि हमने स्रोतों में विविधता ला दी है।”
ट्रंप की धमकी पर भारत का रुख स्पष्ट
हरदीप पुरी का यह बयान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस चेतावनी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर यूक्रेन युद्ध के मसले पर 50 दिनों में कोई समाधान नहीं निकलता, तो वे रूस पर गंभीर व्यापारिक प्रतिबंध लगाएंगे। ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने वाले देशों, खासकर भारत और चीन को भी सेकेंडरी सैंक्शन की चेतावनी दी थी।
“भारत ने कीमतें स्थिर रखने में निभाई अहम भूमिका”
ट्रंप की धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पुरी ने कहा, “कुछ बयान राजनीतिक होते हैं और विवाद सुलझाने के मकसद से दिए जाते हैं। लेकिन भारत की रूस से तेल खरीद ने वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। अगर भारत-रूस के बीच तेल व्यापार नहीं होता तो कच्चे तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं।” उन्होंने यह भी बताया कि यूक्रेन युद्ध से पहले भारत केवल 0.2% कच्चा तेल रूस से आयात करता था, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 40% हो गया है।
प्रतिबंधों का सम्मान, लेकिन राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत अब भी अपने उस रुख पर कायम है कि वह किसी ऐसे देश से तेल नहीं खरीदेगा जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के अधीन है। उन्होंने कहा, “हमने कभी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं किया। रूसी तेल की कीमतें हमेशा 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा में रहीं और उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा।”
केंद्रीय मंत्री ने यह भी जोड़ा कि, “रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक है। अगर रूस की आपूर्ति बाजार से हट जाती तो यह वैश्विक आपूर्ति का 10% हिस्सा खत्म कर देता, जिससे कीमतें 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं। इसका असर सीधे तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ता।”