आज के ही दिन 'बुद्ध मुस्कराए', इंदिरा के इस ऑप्रेशन से चौंका था पूरा विश्व

Edited By ,Updated: 18 May, 2017 01:34 PM

india tested first nuclear bomb on 18 may 1974

18 मई 1974 को बुद्ध जयंती थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए वो दिन सबसे बड़ी परीक्षा का दिन था। अपने कमरे में इधर-उधर घूम रही इंदिरा को इंतजार था एक फोन कॉल का।

नई दिल्ली: 18 मई 1974 को बुद्ध जयंती थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए वो दिन सबसे बड़ी परीक्षा का दिन था। अपने कमरे में इधर-उधर घूम रही इंदिरा को इंतजार था एक फोन कॉल का। जैसे ही उनके फोन की घंटी बजी, इंदिरा ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आई, "बुद्ध मुस्कराए"। इस संदेश के साथ ही इंदिरा ने भी बड़ी राहत ली। दरअसल उनके पास एक वैज्ञानिक का फोन आया था और "बुद्ध मुस्कराए" संदेश का मतलब था कि भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दिया है जो सफल रहा। इसके बाद दुनिया में भारत पहला ऐसा देश बन गया था जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य न होते हुए भी परमाणु परीक्षण करने का साहस किया। यह वह दौर था जब भारत-पाकिस्तान के बीच दुश्मनी चरम पर थी।

इंदिरा ने तोड़ी पाक-अमेरिका की हेकड़ी
70 के इसी दशक में भारत ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश बनाने में मदद की थी और तब अमेरिका का पलड़ा पाकिस्तान के लिए ज्यादा झुका रहता था। वजह थी कि अमेरिका सोवियत संघ के खिलाफ पाकिस्तान के एयरबेस का इस्तेमाल कर रहा था। दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत अब भी गुटनिरपेक्ष देश बना हुआ था। अमेरिका इससे भी नाराज था, वह चाहता था कि भारत उसका हर बात पर समर्थन करे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वहीं चीन भी उस समय पाकिस्तान के साथ ही था। ऐसे में पाकिस्तान के समर्थन में उस समय दुनिया दो बड़े देश खड़े थे लेकिन ऐसी परिस्थितियों का भी भारत ने बहादुरी से सामना किया। भारत में भी लोग आवाज उठाने लग गए थे कि देश को परमाणु क्षमता हासिल करना बेहद जरूरी हो गया है।

PTBT बना राह में रोड़ा
परीक्षण से पहले भारत की राह में कई रोड़े आए। पहले तो IAEC के चेयरमैन और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन हो गया। उनकी जगह होमी सेठना को लाया गया लेकिन एक बाधा और आ गई कि भारत ने PTBT नाम के एक समझौते पर हस्ताक्षर कर रखा था जिसके मुताबिक कोई भी देश इस समझौते के तहत वातावरण में परमाणु परीक्षण नहीं कर सकता था। समझौते में वातावरण का मतलब आसमान, पानी के अंदर, समुद्र शामिल था, तब भारत ने इस परीक्षण को जमीन के अंदर करने का निर्णय लिया।

नहीं लगने दी किसी को भनक
इस पूरे अभियान को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक राजा रमन्ना ने अपनी आत्मकथा  'इयर्स ऑफ पिलग्रिमिज' में लिखा कि इस पूरे ऑपरेशन के बारे में पीएम इंदिरा गांधी के अलावा,  मुख्य सचिव पीएन हक्सर, पीएन धर, वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. नाग चौधरी और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन एच. एन. सेठना और खुद राजा रमन्ना को ही जानकारी थी।

ऐसा था बम
परमाणु बम का व्यास 1.25 मीटर और वजन 1400 किलो था। सेना इसको बालू में छिपाकर लाई थी। सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर यह राजस्थान के पोखरण में विस्फोट किया था। बताया जाता है कि 8 से 10 किमी इलाके में धरती हिल गई थी।

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