भारतीय वायुसेना को मिलेगी BrahMos-A की ताकत, 110 मिसाइलों और 87 ड्रोन की होगी खरीद

Edited By Updated: 08 Aug, 2025 12:09 AM

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भारतीय वायुसेना (IAF) की हवाई हमले की क्षमता को बड़ा बढ़ावा मिलने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में 7.64 अरब डॉलर के एक बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दी है, जिसके तहत वायुसेना को 110 ब्रह्मोस-ए एयर-लॉन्च सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और 87 भारी-भरकम...

नेशनल डेस्क: भारतीय वायुसेना (IAF) की हवाई हमले की क्षमता को बड़ा बढ़ावा मिलने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में 7.64 अरब डॉलर के एक बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दी है, जिसके तहत वायुसेना को 110 ब्रह्मोस-ए एयर-लॉन्च सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और 87 भारी-भरकम ड्रोन मिलेंगे। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को आधुनिक बनाने और रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर में दिखी ब्रह्मोस-ए की ताकत

हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ब्रह्मोस-ए मिसाइल ने अपनी क्षमता का दमदार प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के प्रमुख हवाई अड्डों और रनवे को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाया। यह ब्रह्मोस-ए का पहला युद्धकालीन इस्तेमाल था, जिसने इसकी सटीकता और मारक क्षमता को साबित कर दिया।

क्या है ब्रह्मोस-ए मिसाइल की खासियत?

ब्रह्मोस-ए मिसाइल, सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का एयर-लॉन्च संस्करण है, जिसे लड़ाकू विमानों से छोड़ा जाता है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज (2.8 से 3.0 मैक) उड़ान भरती है और 450 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार कर सकती है। इसके विस्तारित रेंज संस्करण की क्षमता 800 किलोमीटर तक बढ़ाई जा सकती है।

ब्रह्मोस-ए 'फायर एंड फॉरगेट' यानी "दागो और भूल जाओ" सिद्धांत पर काम करती है। एक बार लॉन्च होने के बाद यह अपने लक्ष्य को खुद ट्रैक करके हमला करती है, जिससे इसमें बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती।

Su-30MKI से मिलकर बनी घातक जोड़ी

भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस-ए को अपने प्रमुख लड़ाकू विमान Su-30MKI के साथ एकीकृत किया है। यह जोड़ी दुश्मन के ठिकानों पर दूर से सर्जिकल स्ट्राइक करने में सक्षम है। मिसाइल 200-300 किलोग्राम का उच्च विस्फोटक वारहेड ले जाने में सक्षम है, जिससे यह जमीन और समुद्र दोनों पर निशाना साध सकती है।

ब्रह्मोस-ए की खास बात यह भी है कि यह कम ऊंचाई (लगभग 10 मीटर) तक उड़ान भर सकती है और इसका रडार सिग्नेचर बहुत कम होता है, जिससे इसे पकड़ पाना दुश्मन के लिए बेहद मुश्किल होता है।

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