Edited By Mehak,Updated: 13 Dec, 2025 05:15 PM

ब्लड ग्रुप के आधार पर पर्सनैलिटी समझने की थ्योरी खासतौर पर जापान में लोकप्रिय रही है। इसके अनुसार A, B, AB और O ब्लड ग्रुप वाले लोगों के स्वभाव अलग-अलग माने जाते हैं। हालांकि कई वर्षों की रिसर्च के बावजूद यह साबित नहीं हो पाया है कि ब्लड ग्रुप किसी...
नेशनल डेस्क : इंसान की शख्सियत को समझने की जिज्ञासा बहुत पुरानी है। पहले समय में लोग सितारों, राशियों और ग्रहों के आधार पर किसी के स्वभाव का अंदाजा लगाते थे। आज के दौर में पर्सनैलिटी टेस्ट, मनोवैज्ञानिक मॉडल और किताबों के जरिए खुद को समझने की कोशिश की जाती है। लेकिन एक ऐसी थ्योरी भी है, जो किसी सवाल-जवाब पर नहीं, बल्कि इंसान के ब्लड ग्रुप पर आधारित है। इसे ब्लड-टाइप पर्सनैलिटी थ्योरी कहा जाता है।
यह धारणा खासतौर पर जापान में लोकप्रिय है, जहां इसे 'कात्सुएकी-गाता' कहा जाता है। इस मान्यता के अनुसार, इंसान का ब्लड ग्रुप उसके स्वभाव, सोच और व्यवहार के बारे में बहुत कुछ बताता है। दुनिया में A, B, AB और O जैसे अलग-अलग ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं और इस थ्योरी के समर्थक मानते हैं कि हर ब्लड ग्रुप की अपनी एक खास पर्सनैलिटी होती है। हालांकि, विज्ञान अभी तक इसे पूरी तरह साबित नहीं कर पाया है।
इस थ्योरी की शुरुआत 1920 के दशक में जापान के मनोवैज्ञानिक टोकेजी फुरुकावा से मानी जाती है। उन्होंने 'A Study of Temperament and Blood-Groups' नाम से एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया था। इस अध्ययन में उन्होंने अलग-अलग उम्र के लोगों से कुछ सवाल पूछे और उनके जवाबों को ब्लड ग्रुप से जोड़ने की कोशिश की। फुरुकावा ने प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स के चार स्वभाव मॉडल - सैंग्विन, फ्लेग्मैटिक, कोलेरिक और मेलैंकॉलिक का इस्तेमाल किया था।
फुरुकावा के अनुसार, O ब्लड ग्रुप वाले लोग आमतौर पर शांत और रिलैक्स्ड होते हैं, A ब्लड ग्रुप वाले गंभीर और सोच-समझकर फैसले लेने वाले माने जाते हैं, जबकि B ब्लड ग्रुप वालों को मिलनसार और चंचल बताया गया। वैज्ञानिक आधार कमजोर होने के बावजूद यह सोच जापान और दक्षिण कोरिया की संस्कृति में गहराई से जुड़ गई। वहां रिश्तों, शादी और टीमवर्क तक में ब्लड ग्रुप पर चर्चा होती रही है।
1970 के दशक में लेखक मसाहिको नोमी ने अपनी किताबों के जरिए इस थ्योरी को और लोकप्रिय बना दिया। उन्होंने दावा किया कि किसी व्यक्ति के स्वभाव का एक बड़ा हिस्सा उसके ब्लड टाइप से जुड़ा होता है। उनकी किताबें काफी चर्चित रहीं, जिससे आम लोगों में इस विचार को और बल मिला।
हालांकि, कई वर्षों की रिसर्च के बाद भी अब तक ऐसा कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है, जो यह साबित करे कि ब्लड ग्रुप किसी व्यक्ति की पर्सनैलिटी को तय करता है। हालांकि, 2013 की कुछ स्टडीज़ में यह संकेत जरूर मिला कि कुछ ब्लड ग्रुप खास बीमारियों के प्रति ज्यादा या कम संवेदनशील हो सकते हैं। ब्लड-ग्रुप आधारित डाइट से जुड़ी थ्योरी भी चर्चा में रही है, लेकिन व्यवहार, सोच या स्वभाव पर ब्लड ग्रुप के असर को लेकर कोई पुख्ता वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है।
असल में ब्लड ग्रुप यह बताता है कि आपकी रेड ब्लड सेल्स पर कौन से एंटीजन मौजूद हैं—A में A एंटीजन, B में B एंटीजन, AB में दोनों और O में कोई एंटीजन नहीं होता। यही जानकारी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के समय बेहद जरूरी होती है और कई बार जान बचाने में अहम भूमिका निभाती है।