ट्रंप का वीजा बम: भारतीय प्रोफेशनल्स को 24 घंटें के अंदर चुकानी होगी 88 लाख फीस, वरना अमेरिका में No Entry!

Edited By Updated: 20 Sep, 2025 04:58 PM

indian professionals must pay 88 lakh in 24 hours or face no entry into the us

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा धारकों और इसे इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के लिए बड़ा झटका दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि अब हर H-1B वीज़ा के लिए कंपनियों को सालाना 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की फीस चुकानी होगी। यह नियम...

नेशनल डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा धारकों और इसे इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के लिए बड़ा झटका दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि अब हर H-1B वीज़ा के लिए कंपनियों को सालाना 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की फीस चुकानी होगी। यह नियम रविवार, 21 सितंबर की आधी रात (भारतीय समयानुसार 9:30 बजे) से लागू हो जाएगा।

रविवार तक की डेडलाइन

नए आदेश के मुताबिक, अगर कोई H-1B वीज़ा धारक रविवार की डेडलाइन के बाद अमेरिका में प्रवेश करेगा, तो उसे रोक दिया जाएगा। एंट्री तभी संभव होगी जब उसकी कंपनी सालाना फीस का भुगतान करेगी।

क्यों लिया गया यह फैसला?

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि H-1B वीज़ा प्रोग्राम का अक्सर गलत इस्तेमाल किया जाता है। बड़ी टेक कंपनियां विदेशी कर्मचारियों, खासकर भारतीयों, को भारी संख्या में नियुक्त करती हैं। सरकार का मानना है कि इस वजह से अमेरिकी नागरिकों को नौकरी के अवसर कम मिलते हैं। इसी कारण यह फीस बढ़ाकर इतनी भारी कर दी गई है ताकि केवल चुनिंदा और जरूरी कर्मचारियों को ही वीज़ा दिया जा सके।

कितनी बढ़ गई फीस?

पहले कंपनियों को एक H-1B वीज़ा के लिए लगभग 1,500 डॉलर चुकाने पड़ते थे। लेकिन अब यह बढ़कर 100,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) हो गई है। यह फीस हर साल देनी होगी और तीन साल की वीज़ा अवधि के दौरान भी हर साल भुगतान करना होगा।

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भारतीयों पर बड़ा असर

अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में जारी हुए करीब 4 लाख H-1B वीज़ा में से 72% भारतीयों को मिले थे। यानी यह नया नियम भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर सबसे ज्यादा असर डालेगा।

माइक्रोसॉफ्ट और अन्य कंपनियों की चिंता

ट्रंप के फैसले के बाद माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को तुरंत अमेरिका लौटने की एडवाइजरी जारी की है। भारत या अन्य देशों में छुट्टियों या काम पर गए H-1B वीज़ा धारकों को कहा गया है कि वे नियम लागू होने से पहले अमेरिकी धरती पर वापस आ जाएं, वरना वे बाहर ही फंस सकते हैं।

क्या इस आदेश में कोई छूट मिलेगी? 

आदेश में यह भी कहा गया है कि यह घोषणा गृह सुरक्षा विभाग को यह अधिकार देती है कि वह किसी विदेशी नागरिक, किसी विशेष कंपनी के कर्मचारियों या किसी खास उद्योग में काम करने वाले व्यक्तियों को प्रतिबंध से छूट दे सके, बशर्ते एजेंसी यह माने कि H-1B वीज़ा राष्ट्रीय हित में है और अमेरिकी सुरक्षा या जनकल्याण के लिए खतरा नहीं बनता।

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भारतीय पेशेवरों के लिए खतरा और अवसर

फिलहाल अमेरिका में करीब 50 लाख भारतीय रहते हैं और लगभग 10 लाख लोग ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। ट्रंप का यह फैसला भारतीय पेशेवरों के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि अब कंपनियां सिर्फ कुछ खास कर्मचारियों के लिए इतनी भारी फीस चुकाने को तैयार होंगी। इससे छंटनी का खतरा भी बढ़ सकता है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला भारत के लिए अवसर भी बन सकता है। अगर अमेरिकी कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को लाने में हिचकिचाएंगी, तो भारत में ही टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेंटर बनाने की संभावनाएं बढ़ेंगी।

 


 

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