Tatkal Ticket: रेलवे की तत्काल टिकट को लेकर बड़ा खुलासा: इन अवैध Apps के जरिए केवल 15 सेकंड टिकट बुक कर लेते है दलाल

Edited By Updated: 10 Nov, 2025 12:33 PM

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भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए तत्काल टिकट सेवा शुरू की थी, ताकि अचानक यात्रा के लिए लोग मिनटों में टिकट बुक कर सकें। लेकिन अब यह सुविधा दलालों के लिए सोने पर सुहागा बन गई है। जहां आम लोग 1-2 मिनट में टिकट बुक कर पाते हैं, वहीं कुछ दलाल...

नेशनल डेस्क: भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए तत्काल टिकट सेवा शुरू की थी, ताकि अचानक यात्रा के लिए लोग मिनटों में टिकट बुक कर सकें। लेकिन अब यह सुविधा दलालों के लिए सोने पर सुहागा बन गई है। जहां आम लोग 1-2 मिनट में टिकट बुक कर पाते हैं, वहीं कुछ दलाल मात्र 10-15 सेकंड में ही टिकट हड़प लेते हैं। रेलवे की वेबसाइट पर कुछ सेकंडों में टिकट खत्म होने की यह समस्या यात्रियों के लिए परेशानी बन गई है। अधिकारियों के अनुसार, इसका कारण हैं अनधिकृत ऐप्स और सिस्टम जो रेलवे की बुकिंग प्रक्रिया को चकमा दे रहे हैं।

अनधिकृत ऐप्स का खेल
इस समय बाजार में कम से कम चार ऐसे ऐप्स सक्रिय हैं — Tesla, Avengers और Dr. Doom— जो यात्रियों की जानकारी भरते ही सेकंडों में टिकट कंफर्म कर देते हैं। इन ऐप्स का उद्देश्य यात्रियों को सुविधा देना नहीं, बल्कि तत्काल टिकट की चोरी करना है। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने बताया कि इन ऐप्स की मदद से टिकट बुकिंग का काम ऑटोमैटिक तरीके से किया जाता है। बुकिंग शुरू होने से पहले ही यात्रियों की जानकारी जैसे नाम, उम्र आदि ऐप में भर दी जाती है, जिससे टिकट उपलब्ध होते ही तुरंत बुक हो जाते हैं।

RPF की सतर्कता
मुंबई के वरिष्ठ संभागीय सुरक्षा आयुक्त ऋषि शुक्ला के अनुसार, RPF लगातार ऐसे मामलों पर नजर रखता है। कई दलाल और ऐप डेवलपर गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। हालांकि, OTP और Captchaजैसी सुरक्षा प्रणाली के बावजूद अनधिकृत सिस्टम इसे पार कर ले जाते हैं।

दलालों का मुनाफा
सुपर सेलर्स इन ऐप्स को 1,500 से 2,500 रुपये प्रति माह में बेचते हैं। एक उदाहरण के मुताबिक, 800 रुपये वाला sleeper ticket broker 2,000 रुपये में बेच देते हैं। त्योहारों और पीक सीजन में यह कीमत और बढ़ जाती है। थर्ड एसी टिकट, जिसकी असली कीमत 2,300 रुपये होती है, दलाल 4,000 रुपये तक बेच सकते हैं।

फर्जी पहचान पत्र का कारोबार
आधार सत्यापन के अनिवार्य होने के बाद फर्जी पहचान पत्रों की मांग बढ़ गई है। पहले यह 30 रुपये में उपलब्ध था, अब इसका दाम 500 रुपये तक पहुंच गया है। आरपीएफ ने इस साल 10 और पिछले साल 25-30 ऐसे मामले दर्ज किए हैं। अब तक लगभग 50 लोग, जिनमें दलाल, सुपर सेलर्स और डेवलपर शामिल हैं, गिरफ्तार किए जा चुके हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वे इस समस्या से निपटने के लिए लगातार उपाय कर रहे हैं, लेकिन तकनीक और बाजार में इन ऐप्स की उपलब्धता इसे चुनौतीपूर्ण बना रही है।
 
 

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