पंजाबी युवक सबकुछ लुटाकर गया अमेरिका, डिपोर्ट होकर लौटा तो सुनाई सफर की भयावह दास्तां- रास्ते में लाशें व हड्डियां...

Edited By Updated: 25 Feb, 2025 04:50 PM

jugraj singh deported from panama reach amritsar

अमेरिका से डिपोर्ट भारतीय नागरिकों   में जुगराज सिंह नामक युवक भी शामिल है। जुगराज पंजाब के धारीवाल के गांव चौधरपुर का निवासी है और उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा सपना अमेरिका में ...

International Desk: अमेरिका से डिपोर्ट भारतीय नागरिकों   में जुगराज सिंह नामक युवक भी शामिल है। जुगराज पंजाब के धारीवाल के गांव चौधरपुर का निवासी है और उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा सपना अमेरिका में एक बेहतर भविष्य बनाने का देखा था। इस यात्रा ने उसे न केवल आर्थिक रूप से परेशान किया, बल्कि मानसिक और शारीरिक कष्ट भी दिए, जिनका वह कभी सोच भी नहीं सकता था। जुगराज सिंह ने बताया कि उसने अमेरिका जाने के लिए अपने घर की ज़मीन बेच दी थी और कर्ज लेकर कुल 40 लाख रुपये खर्च किए थे। यह रकम उसने एजेंट के कहने पर जुटाई थी, जिसने उसे भरोसा दिलाया था कि वह उसे कानूनी तरीके से अमेरिका भेजेगा।

 

जुगराज ने अपनी यात्रा शुरू की 28 जुलाई को, लेकिन जो रास्ता उसने चुना, वह उसे बिल्कुल नहीं पता था कि वह किस मुश्किलों में फंसने वाला था। एजेंट के द्वारा उसे कानूनी तरीके से भेजे जाने का वादा किया गया था, लेकिन असलियत में जुगराज को अवैध तरीके से "डंकी" के रास्ते अमेरिका भेजा गया। "डंकी" एक अवैध रास्ता है, जो मुख्य रूप से मध्य और दक्षिणी अमेरिका से होकर गुजरता है, और इसमें कई खतरनाक और जानलेवा रास्तों का सामना करना पड़ता है। जुगराज ने अपनी यात्रा के दौरान पहले सूरिनाम पहुंचा, जहां उसे दस दिन तक रोका गया। वहाँ के हालात भी काफी भयंकर थे, और जुगराज को वहां विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।  इस समय के दौरान, उसे शरणार्थियों के साथ मिलकर रहना पड़ा, जहां खाने-पीने की चीज़ों की भारी कमी थी और मानसिक तनाव काफी बढ़ चुका था।
 

जुगराज ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें रास्ते में लाशों और हड्डियों के ढेर मिले। यह दृश्य अत्यंत डरावना था और जुगराज के मन में सवाल उठने लगे कि क्या वह सही रास्ता चुन रहे थे। शारीरिक कष्टों के साथ-साथ, उन्हें मानसिक रूप से भी काफी दबाव महसूस हुआ, क्योंकि रास्ते में खाने के लिए सिर्फ फल और पानी था, और यह जीवन बचाने के लिए काफी कठिन था। जब जुगराज आखिरकार अमेरिका पहुंचा, तो वहां उसकी उम्मीदें टूटने लगीं। उसे कई अन्य भारतीयों के साथ एक अनजाने केंद्र में भेज दिया गया, जहां उसे शरणार्थी की तरह रखा गया। वह वहां अपनी स्थिति के बारे में शिकायत नहीं कर सकता था और उसे वहां से वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।


 
अंत में, जुगराज और उसके साथी प्रवासियों को पनामा भेजा गया, जहां एक संस्था ने उनकी मदद की और उन्हें भारत वापस भेज दिया। डिपोर्ट होने के बाद, जुगराज ने महसूस किया कि उसने जिस ख्वाब को साकार करने के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च की थी, वह ख्वाब अब चकनाचूर हो चुका था। जुगराज का कहना है कि उसकी यात्रा केवल उसकी ही नहीं, बल्कि और भी कई लोगों की दुखद और दर्दनाक यात्रा बन चुकी थी। जुगराज ने अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह केवल एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं थी, बल्कि यह उस वास्तविकता का प्रतीक है, जिससे लाखों लोग जूझते हैं। यह कहानी यह भी बताती है कि कैसे अवैध प्रवासन की क़ीमत अंततः पूरी जिंदगी को बदल सकती है।

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