CBI Vs CBI : जानें मोदी-शाह के कनेक्शन के चलते अस्थाना कैसे बने थे सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर

Edited By Yaspal,Updated: 25 Oct, 2018 05:23 AM

जब से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनी है तब से मोदी के गृह राज्य गुजरात से नौकरशाहों का आयात दिल्ली में सत्ता के गलियारों में हो रहा है।  अब तक 30 से अधिक गुजरात कैडर के अफसर दिल्ली में उच्च पदों पर...

नई दिल्लीः (मनीष शर्मा) जब से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनी है तब से मोदी के गृह राज्य गुजरात से नौकरशाहों का आयात दिल्ली में सत्ता के गलियारों में हो रहा है।  अब तक 30 से अधिक गुजरात कैडर के अफसर दिल्ली में उच्च पदों पर आसीन हो चुके हैं। उनमे से एक है सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना। अस्थाना पर खुद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें उन पर कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रूपये की रिश्वत लेकर मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीन चिट देने का आरोप लगाया गया। जिसके बाद उन्होंने अपने वरिष्ठ सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा पर ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया। सीबीआई पर बढ़ते विवाद को देखते मोदी सरकार ने दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया है। लेकिन अस्थाना पर लगे आरोपों की जांच करने वाली टीम को ही मोदी सरकार ने बदल दिया है। उसकी जगह नई टीम गठित की गई है।

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अस्थाना और प्रधानमंत्री मोदी का पुराना कनेक्शन
राकेश अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर हैं। उन्हें  प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। 1996 में चारा घोटाला मामले में लालू यादव को गिरफ्तार कर चर्चा में आए। 2002 में गोधरा काण्ड की जांच भी उनकी निगरानी में हुआ। 22 दिनों के अंदर 2008 में अहमदाबाद में हुए बम धमाकों की जांच की रिपोर्ट भी पेश कर दी। अस्थाना वडोदरा और सूरत जैसे महत्वपूर्ण जिलों के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी को राकेश अस्थाना पर तब से विश्वास है जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे  इसलिए जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो अस्थाना का भी प्रमोशन दिल्ली हो गया लेकिन जल्दबाज़ी में की गई सीबीआई में उनकी नियुक्ति विवादों के घेरे में आ गई।

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विवादों में थी सीबीआई में नियुक्ति
2 दिसंबर 2016 को सीबीआई डायरेक्टर अनिल सिन्हा के रिटायरमेंट के दिन ही मोदी सरकार ने सलेक्शन पैनल से सलाह किए बिना ही राकेश अस्थाना को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बना दिया। ऐसा पिछले 10 सालों में पहली बार हुआ था जब सीबीआई डायरेक्टर के नाम की घोषणा नहीं की गई। और तो और उस समय सीबीआई डायरेक्टर के पद की रेस में सबसे आगे स्पेशल डायरेक्टर आर के दत्ता को विशेष सचिव के तौर पर गृह मंत्रालय ट्रांसफर कर दिया गया। मंत्रालय में विशेष सचिव का पद पहली बार बना था। बाद में उनके सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर बनने पर भी विवाद हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया लेकिन कोर्ट ने उनकी न्युक्ति के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया।

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राकेश अस्थाना पर निशाना साधते हुए उन्हें पीएम का चहेता करार दिया था। देश में अपनी विश्वस्नीयता को बरकरार रखने के लिए आज सीबीआई को खुद सीबीआई से लड़ना पड़ रहा है। कभी सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन का नाम देने वाले मोदी पर अब  सीबीआई का भाजपाकरण करने का आरोप लगना शुरू हो गया है।

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