कलकत्ता हाईकोर्ट का निर्देश, गवाहों को सुरक्षा और घटनास्थल के आसपास वीडियो कैमरा लगवाए ममता सरकार

Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Mar, 2022 08:44 PM

mamta government should provide security witnesses

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई हिंसा और आगजनी में आठ लोगों के मारे जाने की घटना की फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल को घटनास्थल से आवश्यक नमूने इकट्ठा करने का बुधवार को आदेश दिया।

नेशनल डेस्क: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई हिंसा और आगजनी में आठ लोगों के मारे जाने की घटना की फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल को घटनास्थल से आवश्यक नमूने इकट्ठा करने का बुधवार को आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार को बृहस्पतिवार को अपराह्न दो बजे तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ इस मामले पर कल दोपहर दो बजे सुनवाई करेगी।

घटनास्थल पर सीसीटीवी लगाने का निर्देश
पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले और विभिन्न याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए पूर्वी बर्धमान के जिला जज की उपस्थिति में घटनास्थल पर सीसीटीवी लगाने और अगले आदेश तक रिकॉर्डिंग जारी रखने का निर्देश दिया। अदालत ने दिल्ली की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (सीएफएसएल) को अविलंब घटनास्थल का दौरा करने का निर्देश दिया। पीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पूर्वी बर्धमान के जिला जज से विमर्श करके गवाहों और आगजनी में घायल नाबालिग लड़के की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए स्वत: संज्ञान वाली याचिका दर्ज की गयी है।

मामले की सीबीआई करें जांच- याचिकाकर्ता
विभिन्न जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने हिंसा की घटना की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य एजेंसी द्वारा कराये जाने की मांग की है, जिसका नियंत्रण राज्य सरकार के अधीन नहीं हो। राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता ने याचिका का पुरजोर विरोध किया और कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) मामले की जांच कर रही है और किसी अन्य एजेंसी को मामले को अंतरित करने की आवश्यकता नहीं है। बीरभूम जिले के रामपुरहाट कस्बे के पास बोगतुई गांव में मंगलवार को तड़के घरों में आग लगने से आठ लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी।

माना जा रहा है कि यह घटना सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पंचायत अधिकारी की हत्या के प्रतिशोध स्वरूप हुई थी।। अधिवक्ता तरुण ज्योति तिवारी ने मंगलवार को कहा था कि उन्होंने और भाजपा अधिवक्ता प्रकोष्ठ के नौ अन्य सदस्यों ने खंडपीठ के समक्ष घटना का उल्लेख करते हुए याचिका दायर करने की अनुमति मांगी थी। तिवारी ने यह भी कहा था कि पीठ ने उन्हें अनुमति दे दी है और जल्द ही एक मामला दायर किया जाएगा। 

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