राजगढ़: दिनभर मांगती है रोटी, 70 तक खाकर भी रहती है भूखी! मंजू की अनोखी बीमारी से हैरान भी डॉक्टर

Edited By Updated: 13 Sep, 2025 03:05 PM

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राजगढ़ की मंजू सौंधिया एक रहस्यमयी मानसिक बीमारी से जूझ रही हैं, जिसमें उन्हें लगातार रोटी खाने की इच्छा होती है, भले ही वे 60-70 रोटियां खा चुकी हों। डॉक्टरों ने इसे साइकॉटिक डिसऑर्डर बताया है। इलाज के बावजूद सुधार नहीं हुआ और आर्थिक तंगी के कारण...

नेशनल डेस्क : राजगढ़ जिले की सुठालिया तहसील के नेवज गांव में रहने वाली 28 वर्षीय मंजू सौंधिया की जिंदगी एक रहस्यमयी मानसिक बीमारी की चपेट में है। पिछले तीन साल से उनके घर में एक ही आवाज गूंजती है - "मुझे रोटी चाहिए… और फिर से रोटी चाहिए।" यह कोई सामान्य भूख नहीं, बल्कि एक मानसिक विकार है, जिसमें मंजू को बार-बार यह भ्रम होता है कि उन्होंने खाना नहीं खाया, जबकि वह लगातार रोटियां खा रही होती हैं।

कभी-कभी 60-70 रोटियां तक खा जाती है
तीन साल पहले तक मंजू एक सामान्य गृहिणी थीं। उनकी शादी सिंगापुर गांव के राधेश्याम सौंधिया से हुई थी और उनके दो छोटे बच्चे हैं - छह साल की बेटी और चार साल का बेटा। उनकी जिंदगी खुशहाल थी, लेकिन अचानक उनकी आदतों में बदलाव शुरू हुआ। पहले हल्की कमजोरी और बार-बार खाने की इच्छा ने धीरे-धीरे गंभीर मानसिक विकार का रूप ले लिया। अब मंजू का पूरा दिन रोटी और पानी के इर्द-गिर्द सिमट गया है। कभी वह 20 रोटियां खाती हैं, तो कभी 60 से 70, फिर भी कहती हैं, "मुझे भूख नहीं लगती, बस रोटी चाहिए।"

परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ
मंजू की इस असामान्य भूख ने पूरे परिवार को संकट में डाल दिया है। परिजनों का कहना है कि उनकी यह आदत घर की आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर रही है। परिवार ने इलाज के लिए हर संभव कोशिश की। राजस्थान के कोटा, झालावाड़, इंदौर, भोपाल, राजगढ़ और ब्यावरा के अस्पतालों में मंजू को दिखाया गया। डॉ. कोमल दांगी ने बताया कि छह माह पहले मंजू उनके पास आई थीं। जांच के बाद उन्हें साइकॉटिक डिसऑर्डर का निदान हुआ, जिसमें मरीज को लगता है कि उसने खाना नहीं खाया। इलाज के दौरान मंजू को मल्टीविटामिन दी गईं और उन्हें भर्ती भी किया गया, लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिल सका।

इलाज में आर्थिक तंगी बनी बाधा
मंजू की स्थिति तब और जटिल हो गई, जब अन्य दवाओं से उन्हें लूज मोशन की शिकायत होने लगी। डॉक्टरों ने सलाह दी कि रोटी के बजाय खिचड़ी, फल और संतुलित आहार दिया जाए, ताकि उनकी मानसिक आदत में सुधार हो। लेकिन मंजू के भाई चंदरसिंह सौंधिया ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। सरकारी मदद भी अब तक नहीं मिली है। चंदरसिंह ने प्रशासन और समाजसेवी संगठनों से अपील की है कि उनकी बहन को उचित इलाज दिलाया जाए, ताकि वह सामान्य जीवन जी सके।

मदद की आस में परिवार
मंजू की यह बीमारी केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। हर दिन रोटी की मांग और इलाज की जद्दोजहद ने परिवार की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। अब परिवार सरकारी और सामाजिक मदद का इंतजार कर रहा है, ताकि मंजू को इस बीमारी से निजात मिले और वह फिर से सामान्य जिंदगी जी सकें।

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