कांग्रेस और वामपंथ को हाशिए पर धकेल टी.एम.सी. से सीधी जंग के मूड में भाजपा

Edited By Mahima,Updated: 20 Mar, 2024 09:30 AM

marginalizing congress and left

पश्चिम बंगाल की सियासत में बीते दस वर्षों में अपने कुनबे का इतना विस्तार कर लिया है कि वह अब कांग्रेस और वामपंथ को हाशिए पर धकेलते हुए सीधे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) से जंग लड़ने के लिए तैयार है।

नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल की सियासत में बीते दस वर्षों में अपने कुनबे का इतना विस्तार कर लिया है कि वह अब कांग्रेस और वामपंथ को हाशिए पर धकेलते हुए सीधे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) से जंग लड़ने के लिए तैयार है। पिछले दो दशकों में पश्चिम बंगाल की सियासत ने नए मकाम देखे हैं। इस दौरान 1998 में अस्तित्व में आई टी.एम.सी. ने वामपंथियों का राज्य से असर कम कर दिया और भाजपा की बात करें तो यह वर्तमान में वामपंथ और कांग्रेस को निचोड़ कर टी.एम.सी. के सामने दीवार बनकर खड़ी हो चुकी है।  

वामपंथ और कांग्रेस बिठा रही है तालमेल
टी.एम.सी. ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित करके कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। हालांकि भाजपा ने 20 सीटों पर ही अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है। जबकि वामपंथ ने 16 सीटों की घोषणा की है और कांग्रेस के साथ तालमेल बिठाने के प्रयास कर रही है। वाम मोर्चा सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के विफल रहने पर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुका है।

भाजपा का 2 से 18 सीटों तक का सफर
2011 में सत्ता में आने के बाद टी.एम.सी. ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक 34 सीटें जीती थी। इस दौरान भाजपा को 2,  कांग्रेस को 4 और वामपंथ को 2 सीटें हासिल हुई थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में टी.एम.सी. 34 सीटों से सिमट कर 22 पर आ गई, जबकि भाजपा  2 सीटों से बढ़कर 18 सीटों पर काबिज हो गई। इस चुनाव में वामपंथियों का तो खाता ही नहीं खुल पाया था, जबकि कांग्रेस 4 सीटों से 2 पर आकर ठहर गई।

विधानसभा में 3 सीटों से 77 हुई भाजपा
अगर बीते विधान सभा चुनावों के आंकड़ों को देखें तो राज्य में टी.एम.सी. ने  2016 के विधानसभा चुनाव में  211 सीटें और 2021 में 215 सीटें जीती हैं। जबकि भाजपा ने इस चुनाव में अपना सफर महज 3 सीटों से शुरू किया था। जबकि यह 2021 में बढ़कर 77 सीटों तक जा पहुंचा है। जानकारों की मानें तो शायद यही वजह है कि 2016 में क्रमशः 44 और 33 सीटें जीतने वाली कांग्रेस और लैफ्ट के ग्राफ में 2021 में भारी गिरावट दर्ज की गई।  

उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में वामपंथ का प्रभाव कम
इसमें कोई दोराय नहीं है कि बीते लोकसभा चुनावों में टी.एम.सी. ज्यादा सीटें हासिल की थी, लेकिन भाजपा का राज्य पर अपना विस्तार करने पर लगातार फोकस रहा है। भाजपा के प्रयास भी सियासी अखाड़े में जमीनी स्तर पर अब नजर आने लगे हैं। 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सत्तारूढ़ टी.एम.सी. वोट शेयर और सीटों के अंतर को काफी कम कर दिया है। यहां उल्लेखनीय यह भी है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में बंगाल के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था, जहां वामपंथियों का दबदबा था।

वोट शेयर में पिछड़ी कांग्रेस और वामपंथ
पश्चिम बंगाल की लोकसभा और विधानसभा वोट शेयर की बात की जाए तो टी.एम.सी. ने 2014 और 2019 के बीच इसमें 3.9 फीसदी इजाफा तो किया लेकिन 2014 के मुकाबले 12 कम सीटें जीतीं। जबकि इस दौरान भाजपा के वोट शेयर में 23.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। कांग्रेस के वोट शेयर में 4 फीसदी और लेफ्ट के वोट शेयर में 22.4 फीसदी की गिरावट आई। भाजपा की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में इसका वोट शेयर 17 फीसदी था और 2019 तक यह 40 फीसदी हो गया। विधानसभा की बात करें तो 2016 में भाजपा ने 10.2 फीसदी वोट हासिल किए थे, जोकि 2021 के चुनाव में 38 फीसदी तक पहुंच गए। कुल मिलाकर कर भाजपा पश्चिम बंगाल में अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाने की ओर अग्रसर है और टी.एम.सी. भी भाजपा को पछाड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!