कैसे होगा देश का विकास? 200 सांसद नहीं खर्च पाए 12 हजार करोड़

Edited By Anil dev,Updated: 31 Aug, 2018 10:42 PM

mp lok sabha rajya sabha bihar

देश का हर सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में विकास की बातें करता है लेकिन अब जो रिर्पोट सामने आई उसकी सच्चाई जानकर यकीनन आपको विश्वास नहीं होगा। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के 200 सांसद अपनी विकास निधि का 12 हजार करोड़ रुपए नहीं खर्च कर पाए हैं।

नई दिल्ली: देश का हर सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में विकास की बातें करता है लेकिन अब जो रिर्पोट सामने आई उसकी सच्चाई जानकर यकीनन आपको विश्वास नहीं होगा। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के 200 सांसद अपनी विकास निधि का 12 हजार करोड़ रुपए नहीं खर्च कर पाए हैं।  जिसमें ज्यादातर राशि जिला एजेंसी या प्राधिकारियों के अकाउंट में पड़ी है।

धनराशि खर्च न कर पाने वालों में लगभग सभी राज्यों के सांसद शामिल
जानकारी मुताबिक लोकसभा और राज्यसभा के सांसद अपनी निधि के करीब पांच हजार करोड़ रुपए खर्च ही नहीं कर पाए हैं। इसलिए करीब सात हजार करोड़ की अगली किस्त जारी नहीं हुई। धनराशि खर्च न कर पाने वालों में लगभग सभी राज्यों के सांसद शामिल हैं। इनमें दिग्गजों के भी नाम हैं। यहां तक कि बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश, जिन्हें विकास की सबसे ज्यादा जरूरत की श्रेणी में रखा जाता है, उन राज्यों में भी सांसद निधि के करीब 1600 करोड़ रुपए खर्च नहीं हो पाए हैं। इससे जाहिर तौर पर लोग विकास के लाभ से वंचित रह गए। मंत्रालय द्वारा किए गए जांच पडताल में यह बात सामने आई है की सांसदों ने अभी तक राशि खर्च इसलिए नहीं किया है क्योंकि राशि का लेखा-जोखा ही नहीं है। ज्यादातर सांसदों ने अभी तक ये सर्टिफिकेट जमा नहीं किए हैं या फिर अभी तक उनके सर्टिफिकेट नोडल एजेन्सी को या ज़िलाअधिकारी तक पहुंचा नहीं है।

फंड के उपयोग ना होने के असली कारणों का लगाया जाएगा पता
मीडिया से बातचीत के दौरान बिहार के योजना और विकास मंत्री राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह बताया कि सबसे पहले उन कारणों का पता लगाने की कोशिश की जाएगी जिनके तहत फंड का विकास के कार्य में नहीं लगाया गया।  राजीव रंजन ने कहा, 'इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। कई बार सासंदों ने जमीन पर कुछ परियोजनाओं की सिफारिश की जो कानूनी पचड़े में फंसी हुई हैं। हमें फंड के उपयोग ना होने के पीछे के असल कारणों को देखना होगा।' महाराष्ट्र योजना विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव देबाशीष चक्रबर्ती ने कहा, 'यह इसलिए हुआ क्योंकि बहुत से सासंगों ने अपने कार्यकाल के दौरान काम का कोई सुझाव नहीं दिया गया। 

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