सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, आरोपियों की गिरफ्तारी से इनकार

Edited By Updated: 24 Jul, 2025 11:54 AM

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11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में सात डिब्बों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इस भयानक हादसे में 189 लोग मारे गए और 824 से ज्यादा घायल हुए। यह घटना मुंबई और पूरे देश के लिए एक बड़ा सदमा थी। इस घटना से जुड़े मामलों की जांच और मुकदमेबाजी कई...

नेशनल डेस्क: 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में सात डिब्बों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इस भयानक हादसे में 189 लोग मारे गए और 824 से ज्यादा घायल हुए। यह घटना मुंबई और पूरे देश के लिए एक बड़ा सदमा थी। इस घटना से जुड़े मामलों की जांच और मुकदमेबाजी कई सालों तक चली। हाल ही में मुंबई की बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ “उचित संदेह से परे अपराध साबित करने में पूरी तरह विफल रहा”। इसके बाद यह फैसला आया कि 12 आरोपियों को बरी किया जाए। हालांकि इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के इस बरी करने वाले फैसले पर रोक लगा दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन आरोपियों को हाईकोर्ट ने बरी किया है, उन्हें दोबारा गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस बात का संकेत है कि हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे फैसलों को अन्य मामलों में मिसाल नहीं माना जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों को पहले ही रिहा किया जा चुका है इसलिए उन्हें वापस जेल भेजना संभव नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून के नजरिए से यह जरूरी है कि हाईकोर्ट के विवादित फैसले पर रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि बरी करने पर रोक लगाना "दुर्लभतम" घटना होगी, लेकिन इस मामले में इसे जरूरी समझा गया है।

मुंबई विस्फोट के बाद का कानूनी सफर

2015 में इस मामले में एक विशेष अदालत ने 13 दोषियों में से पांच को मौत की सजा सुनाई थी। सात को आजीवन कारावास मिला था जबकि एक को बरी किया गया था। इसके बाद 2021 में एक दोषी की मौत कोविड के कारण हुई। अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई है।

 

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