अब यहां संतों ने कहा- मुस्लिम दुकानदार अपनी दुकानों पर लगाएं 'आई लव यू मोहम्मद' का पोस्टर!

Edited By Updated: 02 Oct, 2025 10:22 PM

muslim shopkeepers should put up posters of  i love you muhammed  in their shops

देशभर में “आई लव मोहम्मद” पोस्टर विवाद के बीच अब मथुरा के संतों और धर्माचार्यों ने एक नया बयान देकर बहस को और गरमा दिया है। संतों का कहना है कि मुस्लिम दुकानदारों को अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों पर “I Love You Muhammad” का बोर्ड या पोस्टर लगाना...

नेशनल डेस्कः देशभर में आई लव मोहम्मद पोस्टर विवाद के बीच अब मथुरा के संतों और धर्माचार्यों ने एक नया बयान देकर बहस को और गरमा दिया है। संतों का कहना है कि मुस्लिम दुकानदारों को अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों पर I Love You Muhammad का बोर्ड या पोस्टर लगाना चाहिए।

संतों का तर्क: पहचान होगी किसकी दुकान हिंदू की और किसकी मुस्लिम की

संतों ने कहा कि अगर मुस्लिम दुकानों पर ऐसा बोर्ड लगाया जाएगा तो यह आसानी से पहचाना जा सकेगा कि दुकान किसकी है। उनके अनुसार – सनातनी हिंदू बिना किसी संदेह के हिंदू दुकानदारों से सामान खरीद सकेंगे। पूजा-पाठ से जुड़ी वस्तुएं, खाद्य सामग्री और प्रसाद की वस्तुएं स्वच्छता और धार्मिक मान्यता के अनुरूप मिलेंगी। इससे धार्मिक भावनाओं की रक्षा होगी और सनातनी अपने धर्म के अनुसार खरीदारी कर पाएंगे।

संतों ने सीएम योगी को लिखा पत्र

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर-मस्जिद केस के मुख्य याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यह मांग रखी है। पत्र में लिखा गया, मुस्लिम दुकानदार अक्सर नाम बदलकर और पहचान छुपाकर हिंदू ग्राहकों से व्यापार करते हैं। आरोप लगाया गया कि कुछ मामलों में पूजा सामग्री और खाद्य वस्तुओं में “अशुद्धि” की जाती है। इसलिए अब समय आ गया है कि मुस्लिम दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों पर स्पष्ट तौर पर I Love Muohammad का बोर्ड लगाना अनिवार्य किया जाए।

विवाद का पृष्ठभूमि

हाल ही में कई राज्यों में I Love Muhammad पोस्टर लगाने और उसका विरोध करने की खबरें सामने आईं। कुछ जगहों पर इस पोस्टर को धार्मिक पहचान का प्रतीक माना गया। वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठनों ने इसे धर्म विशेष की ओर झुकाव और “धर्म आधारित भेदभाव” की राजनीति बताया। अब मथुरा के संतों की इस नई मांग ने विवाद को और गहरा कर दिया है।

आगे क्या?

संत समाज की यह मांग सामने आने के बाद प्रदेश में एक नई बहस छिड़ गई है। जहां एक वर्ग इसे धार्मिक पहचान की स्पष्टता बता रहा है, वहीं दूसरा वर्ग इसे सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाली मांग कह रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा तेजी से चर्चा का विषय बन गया है।

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