Edited By Pardeep,Updated: 14 Dec, 2025 06:03 AM
कोलकाता में फुटबॉल के सुपरस्टार लियोनेल मेसी के इवेंट को लेकर जो कुछ हुआ, उसकी चर्चा अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हो रही है। सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला मामला बताया जा रहा है।
नेशनल डेस्कः कोलकाता में फुटबॉल के सुपरस्टार लियोनेल मेसी के इवेंट को लेकर जो कुछ हुआ, उसकी चर्चा अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हो रही है। सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला मामला बताया जा रहा है।
स्टार फुटबॉलर और संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNICEF के ब्रांड एम्बेसडर लियोनेल मेसी इन दिनों ‘GOAT इंडिया टूर’ के तहत तीन दिन के भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को वह कोलकाता पहुंचे थे, जहां उनके सम्मान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

महंगे टिकट, लेकिन फैंस को नहीं मिली मेसी की झलक
कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में आयोजित इस इवेंट के लिए दर्शकों से भारी रकम वसूली गई। किसी ने 5 हजार रुपये, किसी ने 10 हजार रुपये तो किसी ने 25 हजार रुपये तक का टिकट खरीदा। लेकिन इतना पैसा खर्च करने के बावजूद हजारों फैंस को मेसी की एक झलक तक देखने को नहीं मिली। यही वजह रही कि यह इवेंट धीरे-धीरे मिसमैनेजमेंट और बवाल में बदल गया।
फुटबॉल दीवानों का गुस्सा क्यों फूटा?
पश्चिम बंगाल, खासकर कोलकाता, को फुटबॉल का गढ़ माना जाता है। मेसी को देखने के लिए कई फैंस रात भर लाइन में खड़े रहे। लेकिन आरोप है कि सत्ता से जुड़े कुछ लोग और आयोजकों ने पूरे कार्यक्रम को VIP इवेंट बना दिया। आम फैंस को नजरअंदाज किया गया, जिससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। नाराज भीड़ ने कुर्सियां तोड़ दीं, बोतलें फेंकी और यहां तक कि स्टेडियम में आग लगाने की भी कोशिश की। हालात इतने बिगड़ गए कि इवेंट को बीच में ही रोकना पड़ा।

बवाल की असली वजह क्या रही?
कार्यक्रम के मुताबिक मेसी को स्टेडियम में 45 मिनट तक मौजूद रहना था, लेकिन वे सिर्फ 15 मिनट में ही निकल गए। इन 15 मिनटों में भी मेसी ज्यादातर समय मंत्रियों, आयोजकों, बड़े सितारों और नेताओं के रिश्तेदारों से ही घिरे रहे। जो फैंस हजारों रुपये खर्च कर सिर्फ एक झलक पाने आए थे, वे मेसी को देख भी नहीं सके। जैसे ही यह खबर फैली कि मेसी स्टेडियम छोड़ चुके हैं, लोगों का सब्र टूट गया और हालात बेकाबू हो गए।

‘फैंस के साथ नाइंसाफी’ का आरोप
लोगों का कहना है कि मेसी स्टेडियम में मौजूद तो थे, लेकिन उन्हें इस तरह VIP लोगों ने घेर रखा था कि आम दर्शक उन्हें देख ही नहीं पाए। फैंस का आरोप है कि यह कार्यक्रम नेताओं, फिल्मी सितारों और खास मेहमानों तक ही सीमित था। अब सवाल उठ रहा है कि अगर मेसी को सिर्फ VIP लोगों से ही मिलवाना था, तो आम फैंस को टिकट क्यों बेचे गए? कई फैंस ने इस पूरे इवेंट को ‘इवेंट नहीं, बल्कि स्कैम’ करार दिया है।
आयोजक गिरफ्तार, पैसे लौटाने का दावा
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने इवेंट के आयोजक को गिरफ्तार कर लिया है। दावा किया जा रहा है कि दर्शकों का पैसा वापस किया जाएगा। इस इवेंट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी शामिल होने की योजना थी, लेकिन बवाल की खबर मिलते ही वे बीच रास्ते से लौट गईं। बाद में मुख्यमंत्री ने लोगों से माफी मांगी और इस पूरे मिसमैनेजमेंट पर कार्रवाई का भरोसा दिया। हालांकि, इस पूरे मामले में राज्य के खेल मंत्री की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
तोड़फोड़ पर भी उठे सवाल
हालांकि फैंस की नाराजगी समझी जा सकती है, लेकिन स्टेडियम में हुई तोड़फोड़ और हिंसा को सही नहीं ठहराया जा सकता। सवाल यह भी है कि क्या मेसी को न देख पाने की नाराजगी लोगों को कानून हाथ में लेने का अधिकार देती है? चिंता की बात यह भी रही कि जब स्टेडियम में हंगामा हो रहा था, तब सिक्योरिटी व्यवस्था भी पूरी तरह नाकाम नजर आई।
खेल मंत्री पर गंभीर आरोप
आरोप है कि टीएमसी के खेल मंत्री अरूप बिस्वास पूरे समय मेसी के साथ फोटो शूट, सेल्फी और रील बनवाने में व्यस्त रहे। मंत्रियों और नेताओं के रिश्तेदारों की मेसी के साथ तस्वीरें खिंचवाने की लंबी लाइन लगी रही, लेकिन आम जनता को मौका नहीं मिला।
बीजेपी ने इस पूरे मामले को ‘ममता सरकार का मिसमैनेजमेंट’ बताया है।
बीजेपी का आरोप है कि मेसी के इवेंट को पूरी तरह हाईजैक किया गया। मेसी को इतनी कड़ी VIP सुरक्षा में रखा गया कि वे फैंस तक पहुंच ही नहीं सके और इस पूरे “मेसी मेस” की जिम्मेदारी ममता बनर्जी सरकार पर आती है।