नवनीत राणा जाति प्रमाणपत्र मामला: सुप्रीम कोर्ट जुलाई में करेगा सुनवाई

Edited By Yaspal,Updated: 05 May, 2022 05:05 PM

navneet rana caste certificate case supreme court to hear in july

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि निर्दलीय लोकसभा सदस्य नवनीत कौर राणा की उस याचिका पर वह जुलाई में सुनवाई करेगा, जिसमें उनके जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गयी है। निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि निर्दलीय लोकसभा सदस्य नवनीत कौर राणा की उस याचिका पर वह जुलाई में सुनवाई करेगा, जिसमें उनके जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गयी है। निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा महाराष्ट्र के अमरावती निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने मामले पर सुनवाई को स्थगित कर दिया। इससे पहले, राणा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि मामले में कुछ समय लगेगा।

पीठ ने कहा, ‘‘हम जुलाई में मामले पर सुनवाई करेंगे।'' छुट्टियों के बाद, नई पीठ के मामले पर सुनवाई करने की संभावना है, क्योंकि न्यायमूर्ति सरन 10 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 22 जून को राणा का जाति प्रमाणपत्र रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फर्जी तरीके से जाति प्रमाणपत्र हासिल किया गया। अदालत ने राणा पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। राणा ने 2019 में अमरावती से चुनाव जीता था। उन्होंने अपने हलफनामे में दावा किया था कि वह ‘‘मोची'' जाति से नाता रखती हैं। चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने उनका समर्थन किया था।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने फैसले में राणा को छह हफ्ते में जाति प्रमाणपत्र को जमा करने को कहा था। अदालत ने इसके साथ ही दो लाख रुपये का जुर्माना महाराष्ट्र विधिक सेवा प्राधिकरण में दो हफ्ते में जमा करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने माना था कि अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए राणा का ‘मोची' जाति से होने का दावा फर्जी है। अदालत ने कहा कि यह इस श्रेणी के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले लाभ हासिल करने की मंशा से किया गया जबकि वह जानती थीं कि वह इस जाति से संबंध नहीं रखती हैं।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘‘(जाति प्रमाणपत्र के लिए) आवेदन जानबूझकर फर्जी दावे के साथ किया गया था ताकि प्रतिवादी संख्या तीन (राणा) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित संसदीय सीट से चुनाव लड़ सकें।'' अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर सुनाया जिसमें 30 अगस्त 2013 को मुंबई के डिप्टी कलेक्टर द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। इस प्रमाणपत्र में प्रमाणित किया गया था कि राणा ‘‘मोची''जाति से संबंध रखती हैं।

शिवसेना नेता आनंद राव अडसुल ने मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। अडसुल की शिकायत पर समिति ने राणा के पक्ष में फैसला सुनाया और प्रमाणपत्र को सत्यापित किया। इसके खिलाफ अडसुल ने हाईकोर्ट का रुख किया। शिवसेना नेता ने दावा किया था कि राणा ने फर्जी और जाली दस्तावेजों के आधार पर प्रमाणपत्र हासिल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि राणा ने अपने पति नवनीत राणा के प्रभाव का इस्तेमाल कर प्रमाणपत्र हासिल किया, जो महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य हैं।

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