एयर चीफ मार्सल बोले : इस तरह कम समय में भारत कोई भी युद्ध जीत जाएगा

Edited By shukdev,Updated: 18 Nov, 2018 08:02 PM

navy air force is important to win in the minimum possible time dhanoa

वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने वायुसेना, नौसेना और थलसेना के बीच संयुक्त योजना के लिए संस्थागत अवसंरचना के लिए कड़ी वकालत की है, जिससे देश भविष्य में ‘न्यूनतम संभावित’ समय में किसी युद्ध को जीत सके। धनोआ ने कहा कि सेना के तीनों अंगों को देश के समक्ष...

नई दिल्ली: वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने वायुसेना, नौसेना और थलसेना के बीच संयुक्त योजना के लिए संस्थागत अवसंरचना के लिए कड़ी वकालत की है, जिससे देश भविष्य में ‘न्यूनतम संभावित’ समय में किसी युद्ध को जीत सके। धनोआ ने कहा कि सेना के तीनों अंगों को देश के समक्ष आने वाली किसी भी संभावित सुरक्षा चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सामंजस्यपूर्ण रुख अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि उनका बल ‘संयुक्तता’ की वकालत करता है।

अकेले खुद के दम पर युद्ध नहीं जीता जा सकता
उन्होंने कहा, ‘देशों द्वारा एक-दूसरे पर थोपी जा सकने वाले विभिन्न तरह के खतरों की परिस्थिति में सेना का कोई भी अंग पूरी तरह अकेले खुद के दम पर युद्ध नहीं जीत सकता।’ एअर चीफ मार्शल ने कहा, ‘इसलिए यह आवश्यक है कि सेना के तीनों अंग संयुक्त योजना को बढ़ावा दें और न्यूनतम संभावित समय में युद्ध जीतने में मदद के लिए सहयोगी सेवाओं की शक्तियों का लाभ उठाएं।’ सरकार और सेना के तीनों अंगों के बीच चर्चा होती रही है कि क्या भारत को एकीकृत युद्ध क्षेत्र कमानों का मॉडल अपनाना चाहिए जहां तीनों सेवाओं की श्रम शक्ति और परसंपत्तियां एक अधिकारी की कमान के अधीन होंगी।

अजीत डोभाल के नेतृत्व में रक्षा समिति का हुआ था गठन
अमरीका तथा कई पश्चिमी देशों ने यह मॉडल अपना रखा है। रक्षा प्रतिष्ठान में कम से कम दो युद्धक्षेत्र कमान स्थापित करने की चर्चा थी - पाकिस्तान से निपटने के लिए एक पश्चिमी क्षेत्र में, तो दूसरी चीन के साथ किसी स्थिति से निपटने के लिए पूर्वी क्षेत्र में। ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं है कि क्या सरकार युद्धक्षेत्र कमान स्थापित करने को लेकर गंभीर है, लेकिन अप्रैल में इसने तीनों बलों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करने पर केंद्रित एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक रक्षा योजना समिति (डीपीसी) गठित की थी।

संयुक्त योजना के लिए संस्थागत ढांचे की जरूरत
वायुसेना अध्यक्ष ने कहा, ‘हमें जो जरूरत है, वह संयुक्त योजना के लिए संस्थागत ढांचे की है। संयोग से, वायुसेना एकमात्र सेवा है जो अन्य दो बलों की प्रमुख लड़ाकू संरचनाओं के साथ काम करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करती है जिससे वांछित परिणाम हासिल करने के लिए उनकी लड़ाकू क्षमता में सुधार और मजबूती आ सके।’ उन्होंने कहा कि वायुसेना राजनीतिक नेतृत्व द्वारा तय किए गए उद्देश्यों को हासिल करने के लिए थलसेना और नौसेना को समर्थ बनाने में मदद करती है।

भारत के पास वर्तमान में 17 एकल सेवा कमान
वर्तमान में भारत के पास 17 एकल सेवा कमान हैं। देश की एकमात्र त्रिसेवा कमान 2001 में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान-निकोबार में स्थापित की गई थी।  चीन ने लगभग दो साल पहले अपने बलों की समूची क्षमता को मजबूत करने के लिए अपनी सेना को पांच युद्ध क्षेत्र कमानों में पुनर्गठित किया था। वायुसेना की काफी समय से लंबित आधुनिकीकरण पहल के बारे में पूछे जाने पर धनोआ ने कहा कि उनके बल की क्षमता संचालित आधुनिकीकरण की योजना है जिससे कि पूर्ण स्पेक्ट्रम क्षमता हासिल की जा सके। उन्होंने कहा कि वायुसेना भविष्य की चुनौतियों से निपटने तथा भारत के नभक्षेत्र की सुरक्षा करने के लिए तैयार है।

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