Edited By Tanuja,Updated: 23 Dec, 2025 02:31 PM

भारत की खुफिया एजेंसियों ने बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित सैन्य समझौते को लेकर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता केवल सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसमें परमाणु आयाम भी शामिल हो सकता है, जो भारत की सुरक्षा के...
International Desk: बांग्लादेश का भारत की खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ एक औपचारिक सैन्य समझौता करने की प्रक्रिया में है। यह समझौता उस मॉडल पर आधारित हो सकता है, जैसा पाकिस्तान ने पहले सऊदी अरब के साथ किया था। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस प्रस्तावित करार में परमाणु सहयोग का पहलू भी छिपा हो सकता है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में तेज़ी से नज़दीकियां बढ़ी हैं, जबकि भारत के साथ संबंधों में ठंडापन आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका भारत से दूरी बनाते हुए इस्लामाबाद के और करीब जा रहा है, भले ही इससे आईएसआई को बांग्लादेश में कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने का अवसर मिले।
भारतीय एजेंसियों के अनुसार, यदि यह समझौता अंतिम रूप लेता है तो दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग एक संस्थागत ढांचे में बदल जाएगा। इसके तहत संयुक्त सैन्य अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करना और रणनीतिक समन्वय शामिल होगा। पाकिस्तान पहले ही सऊदी अरब को परमाणु क्षमता से जुड़ी ‘संभावित छूट’ का संकेत दे चुका है और अब ऐसी ही पेशकश बांग्लादेश को भी दिए जाने की आशंका है। पिछले आठ महीनों में बांग्लादेश और पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। थलसेना, नौसेना और वायुसेना के अधिकारी एक-दूसरे के देशों के दौरे कर चुके हैं। विशेष रूप से बांग्लादेशी सेना इस समझौते को लेकर काफी उत्साहित बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, शुरुआत में योजना थी कि अंतिम समझौता फरवरी में होने वाले संसदीय चुनावों के बाद किया जाएगा, लेकिन अब इसे चुनाव से पहले ही अंतिम रूप देने की कोशिश हो रही है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यदि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में आई तो यह समझौता अटक सकता है, क्योंकि BNP हाल के महीनों में भारत के प्रति नरम रुख दिखा रही है। एक अधिकारी के अनुसार, यही वजह है कि बांग्लादेश में हिंसा भड़काकर चुनाव टालने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि समझौते को लागू करने के लिए समय मिल सके। फिलहाल जनमत सर्वेक्षणों में BNP को मामूली बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन ढाका और इस्लामाबाद दोनों चुनावी रुझानों पर करीबी नज़र बनाए हुए हैं।