Bihar politics: बिहार में गृह मंत्रालय सम्राट चौधरी के हाथ, फिर विभाग की चाबी क्यों हैं CM नीतीश के हाथ?

Edited By Updated: 24 Nov, 2025 11:15 AM

nitish holds power samrat s home ministry lacks transfer control

बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बन चुकी है। नीतीश कुमार 10 वीं बार वहां के सीएम बने हैं। इसके अलावा वहां की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं।

नेशनल डेस्क : बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बन चुकी है। नीतीश कुमार 10 वीं बार वहां के सीएम बने हैं। इसके अलावा वहां की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। सीएम नीतीश कुमार पिछले कई सालों से गृह मंत्रालय की कमान संभाल रहे थे। इस बार उन्होंने ये मंत्रालय उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को सौंपा है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गृह विभाग बीजेपी को देने के बावजूद, इसका रिमोट कंट्रोल अब भी मुख्यमंत्री के हाथों में ही है।

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सीएम नीतीश कुमार ने संभाला सामान्य प्रशासन विभाग  

इसका मतलब है कि उनके पास राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस प्रशासन का जिम्मा होगा। यह कदम सम्राट चौधरी के सियासी कद को बढ़ाता है। सीएम नीतीश कुमार ने सामान्य प्रशासन विभाग को अपने पास रखा है। यह विभाग ही आईएएस और आईपीएस सहित सभी बड़े अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग, नियुक्ति और प्रमोशन का काम देखता है।

इस तरह सम्राट चौधरी भले ही गृह मंत्री हों, लेकिन पुलिस-प्रशासन पर अंतिम प्रशासनिक नियंत्रण नीतीश कुमार के पास ही रहेगा। इससे सम्राट चौधरी का पावर आधा-अधूरा माना जा रहा है, क्योंकि अधिकारी सीधे मुख्यमंत्री के नियंत्रण में रहेंगे।

क्यों नीतीश ने बीजेपी को दिया गृह विभाग?

राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने यह दांव सोच-समझकर खेला है। कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर अब विपक्ष के निशाने पर बीजेपी होगी, न कि नीतीश कुमार। वह खुद को अपराध नियंत्रण की आलोचना से बचाना चाहते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग को अपने पास रखकर नीतीश कुमार सत्ता संतुलन बनाए रखना चाहते हैं। गृह मंत्रालय 'कांटों भरा ताज' माना जाता है, जो प्रदर्शन न कर पाने पर राजनीतिक करियर को भी प्रभावित कर सकता है।

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सम्राट चौधरी के सामने बड़ी चुनौतियां

गृह मंत्री बनने के बाद सम्राट चौधरी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। यह विभाग सीधे प्रदर्शन का मैदान है और इसी विभाग से नीतीश कुमार ने 'सुशासन बाबू' की छवि बनाई थी। राज्य में अपराध पर काबू पाना उनकी सबसे बड़ी परीक्षा होगी। उन्हें बीजेपी की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा और अपनी नेतृत्व क्षमता साबित करनी होगी। अगर वह सफल होते हैं, तो बीजेपी उन्हें बिहार में अपने बड़े चेहरे के रूप में पेश कर सकती है।

बिहार में BJP की बड़ी रणनीति

बीजेपी हिंदी पट्टी के इस राज्य में अभी तक अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाई है। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी अब धीरे-धीरे सत्ता का नियंत्रण अपने हाथ में लेना चाहती है। सम्राट चौधरी को गृह विभाग देकर बीजेपी अपनी रणनीति को आगे बढ़ा रही है, जिसके तहत वह अगला मुख्यमंत्री चेहरा तैयार कर रही है। इस बार के मंत्रिमंडल में बीजेपी के 14 मंत्री हैं, जबकि जेडीयू के सिर्फ 8 मंत्री हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि बीजेपी अब बिहार में आत्मनिर्भर बनने और सत्ता की कमान अपने हाथ में लेने की तरफ बढ़ रही है।

 

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