बड़ा फैसला: खाली पड़े प्लॉट्स पर गिरी गाज- 12 साल से कंस्ट्रक्शन नहीं किया तो मालिकाना हक होगा रद्द!

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 04:45 PM

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नोएडा अथॉरिटी ने बड़ा फैसला लेते हुए उन सभी प्लॉट मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है, जिन्होंने वर्षों पहले जमीन तो ले ली, लेकिन उस पर अब तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। हाल ही में हुई 219वीं बोर्ड मीटिंग में अथॉरिटी ने तय किया...

नोएडा: दिल्ली से सटे नोएडा में अब खाली प्लॉट्स पर बैठकर कीमतें बढ़ने का इंतजार करना भारी पड़ सकता है। नोएडा अथॉरिटी ने बड़ा फैसला लेते हुए उन सभी प्लॉट मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है, जिन्होंने वर्षों पहले जमीन तो ले ली, लेकिन उस पर अब तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। हाल ही में हुई 219वीं बोर्ड मीटिंग में अथॉरिटी ने तय किया है कि ऐसे प्लॉट जिन पर 12 साल से कोई कंस्ट्रक्शन नहीं हुआ, उनका मालिकाना हक (अलॉटमेंट) निरस्त कर दिया जाएगा। इस निर्णय का मकसद है — शहर की जरूरतों के अनुसार रिहायशी ढांचे को बढ़ावा देना और खाली पड़ी ज़मीनों के कारण धीमी हो रही विकास प्रक्रिया को तेज करना।

जमीन ली, पर निर्माण नहीं किया? अब पछताना पड़ सकता है
नोएडा अथॉरिटी का कहना है कि शहर में बड़ी संख्या में ऐसे प्लॉट हैं जिन्हें केवल इंवेस्टमेंट के मकसद से खरीदा गया, और फिर मालिकों ने वर्षों तक उन्हें यूं ही खाली छोड़ दिया — इस उम्मीद में कि रेट बढ़ेंगे और मोटा मुनाफा मिलेगा। लेकिन अब अथॉरिटी इस प्रवृत्ति को खत्म करने पर आमादा है। इससे न सिर्फ रियल एस्टेट सैक्टर में अनुशासन आएगा, बल्कि जिन लोगों को सच में रहने के लिए मकान चाहिए, उनके लिए भी विकल्प उपलब्ध होंगे।

नोटिस देने के बावजूद लापरवाही, अब सीधा एक्शन
-नोएडा अथॉरिटी का कहना है कि कई बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद भी कुछ अलॉटीज़ ने कंस्ट्रक्शन शुरू नहीं किया।
-जिन लोगों ने निर्माण शुरू कर दिया है, उन्हें 6 महीने का समय और दिया गया है ताकि वे काम पूरा कर सकें।
-लेकिन जिन लोगों ने अब तक कोई शुरुआत नहीं की है, उनकी ज़मीनें जब्त हो सकती हैं।
-अथॉरिटी ऐसे सभी मामलों की पहचान कर रही है और सीधे कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

रिहायशी ज़रूरतें और शहरी सौंदर्य दोनों हो रहे हैं प्रभावित
नोएडा अथॉरिटी ने साफ तौर पर कहा है कि खाली पड़े प्लॉट न सिर्फ शहर की सुंदरता को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि इससे हाउसिंग की बढ़ती जरूरतें भी अधूरी रह जाती हैं। हर साल हजारों लोग नोएडा में बसने की उम्मीद लेकर आते हैं, लेकिन पुराने प्लॉट्स पर कोई निर्माण नहीं होने से उन्हें उचित आवास नहीं मिल पाता। इससे शहरी विकास की गति धीमी हो जाती है, और इंफ्रास्ट्रक्चर पर अनावश्यक दबाव भी बढ़ता है।

 कौन लोग हो सकते हैं प्रभावित?
-जिनके पास 2000 से पहले के अलॉटमेंट हैं और आज तक प्लॉट पर कुछ नहीं बनाया।
-जिन्होंने केवल निवेश के इरादे से ज़मीन खरीदी और अब तक खाली छोड़ रखी है।
-जिन्हें अथॉरिटी ने पहले भी कई बार चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया।
-अगर आप भी इनमें शामिल हैं, तो अब जमीन गंवाने से बचना है तो तुरंत निर्माण कार्य शुरू करें या अथॉरिटी से संपर्क करके स्थिति स्पष्ट करें।

 ये फैसला क्यों है अहम?
-नोएडा जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहर में लैंड बैंक का सक्रिय इस्तेमाल जरूरी है।
-खाली ज़मीनों से विकास की गति थमती है, और ज़रूरतमंद लोगों के लिए विकल्प सीमित हो जाते हैं।
-यह कदम शहर में गंभीर हाउसिंग क्राइसिस को रोकने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।
 

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