Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Dec, 2025 09:43 AM

डिलीवरी रूम में जैसे ही बच्चा दुनिया में कदम रखता है, उसकी पहली आवाज़ अक्सर हंसी नहीं बल्कि रोने की होती है। ऐसा सवाल हर एक के मन में उटता है लेकिन बता दें कि यह रोना सिर्फ दर्द का संकेत नहीं, बल्कि नवजात की सेहत और उसके शारीरिक सिस्टम के सही काम...
नेशनल डेस्क: डिलीवरी रूम में जैसे ही बच्चा दुनिया में कदम रखता है, उसकी पहली आवाज़ अक्सर हंसी नहीं बल्कि रोने की होती है। ऐसा सवाल हर एक के मन में उटता है लेकिन बता दें कि यह रोना सिर्फ दर्द का संकेत नहीं, बल्कि नवजात की सेहत और उसके शारीरिक सिस्टम के सही काम करने का पहला सबूत है। जब बच्चा पैदा होता है, तो वह पूरी तरह से नई दुनिया में आता है। जन्म के समय उसका मस्तिष्क और शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं, इसलिए उसकी मुख्य प्रतिक्रिया जीवित रहने और अपनी जरूरतों को व्यक्त करने के लिए होती है। रोना उसके लिए एक संकेत या सिग्नल है कि उसे भोजन, आराम, या देखभाल की आवश्यकता है। वहीं हंसना एक अधिक जटिल सामाजिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया है, जिसके लिए मस्तिष्क का सामाजिक विकास और अनुभव जरूरी होता है। इसलिए नवजात बच्चे जन्म के तुरंत बाद हंस नहीं सकते।
गर्भ से बाहर की नई दुनिया
गर्भ में बच्चे की दुनिया पूरी तरह अलग होती है- तापमान स्थिर, रोशनी हल्की और बाहरी आवाजें धीमी। जन्म लेते ही वह इस सुरक्षित माहौल से तेज रोशनी, ठंड और शोर से भरी दुनिया में कदम रखता है। यह अचानक बदलाव बच्चे के शरीर को झटके जैसा लगता है और इसकी प्रतिक्रिया रोने के रूप में सामने आती है। यही आवाज बताती है कि बच्चा जीवित है और उसका शरीर नए वातावरण के अनुकूल हो रहा है।
रोना = पहला सांस लेने का अभ्यास
गर्भ में बच्चा ऑक्सीजन नाल के जरिए सांस लेता है, लेकिन जन्म के साथ उसे स्वतंत्र रूप से सांस लेना पड़ती है। रोते समय वह गहरी सांस खींचता और छोड़ता है, जिससे फेफड़े फैलते हैं और उनमें जमा तरल बाहर निकलता है। यह प्रक्रिया बच्चे को स्वतंत्र सांस लेने और जीवन की शुरुआत के लिए तैयार करती है।
शरीर के अंदर बड़े बदलाव
पहला रोना केवल आवाज नहीं है। यह दिल की धड़कन को तेज करता है और रक्त संचार का नया चक्र शुरू करता है। शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन पहुंचती है और नवजात का सिस्टम सक्रिय हो जाता है। डॉक्टर अक्सर जन्म के तुरंत बाद बच्चे के रोने का इंतजार करते हैं, क्योंकि यह उसके हृदय और फेफड़ों के सही कामकाज का सबूत है।
हंसी नहीं, अभी बस रोना
अक्सर माता-पिता पूछते हैं कि बच्चा क्यों हंसता नहीं। जन्म के समय नवजात का मस्तिष्क केवल बुनियादी जरूरतों पर काम करता है-भूख, दर्द, ठंड या असहजता। हंसी एक भावनात्मक और सामाजिक प्रतिक्रिया है, जो मस्तिष्क के धीरे-धीरे विकसित होने पर संभव होती है।
रोना = बच्चा की पहली भाषा
नवजात का रोना उसके लिए संचार का तरीका होता है। भूख, नींद, डायपर गीला होने या पेट में गैस जैसी परेशानियों को वह रोकर दर्शाता है। मां अक्सर समय के साथ बच्चे के अलग-अलग रोने के सुर और कारण पहचानने लगती हैं। इसलिए डॉक्टर इसे समस्या नहीं बल्कि बच्चा का पहला संवाद मानते हैं।