उच्च न्यायालय का राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी की याचिका पर केन्द्र, तमिलनाडु सरकार को नोटिस

Edited By Pardeep,Updated: 13 Aug, 2021 09:22 PM

notice to centre govt on plea convict in rajiv gandhi assassination case

मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों में से एक नलिनी श्रीहरन की उस याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को शुक्रवार को नोटिस जारी किये जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल की अनुमति के इंतजार के बगैर ही उन सभी

चेन्नईः मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों में से एक नलिनी श्रीहरन की उस याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को शुक्रवार को नोटिस जारी किये जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल की अनुमति के इंतजार के बगैर ही उन सभी को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। 

नलिनी और छह अन्य मुरुगन, संथान, पेरारिवलन, जयकुमार, रविचंद्रन और रॉबर्ट पायस मई 1991 में यहां के निकट एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। नलिनी ने राज्यपाल की अनुमति का इंतजार किए बिना मामले के सभी सात दोषियों को रिहा करने का राज्य सरकार को निर्देश देने के अनुरोध के साथ उच्च न्यायाल में याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी ऑडिकेसवालु की प्रथम पीठ ने राज्य और केंद्र सरकारों को नोटिस जारी किये और चार सप्ताह के भीतर इसका जवाब देना होगा। 

नौ सितंबर, 2018 को एक प्रस्ताव द्वारा के पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली पिछली अन्नाद्रमुक कैबिनेट ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सभी सात दोषियों की रिहाई पर विचार करने और आदेश देने की सिफारिश की थी। क्योंकि राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं लिया, नलिनी और अन्य ने उनकी याचिका पर विचार करने और उनकी रिहाई का उन्हें आदेश देने के लिए विभिन्न रिट और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर की थीं। लेकिन उच्च न्यायालय ने राज्यपाल को ऐसा कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया था।

नलिनी ने अपनी वर्तमान याचिका में राज्यपाल की निष्क्रियता और राज्य की सिफारिश को मानने में विफलता को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है। उसने राज्य सरकार को राज्यपाल की मंजूरी की प्रतीक्षा किए बिना दोषियों को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। उसने कहा कि राज्य सरकार की सिफारिश राज्यपाल के लिए बाध्यकारी है और उनके पास उनकी रिहाई के आदेश के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।

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