Edited By Parveen Kumar,Updated: 20 Jul, 2025 06:40 PM

साल 2020 में Google ने एक खास तकनीक लॉन्च की थी – Android Earthquake Alert System (AEA)। इस सिस्टम को खास तौर पर भूकंप संभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को भूकंप आने से पहले चेतावनी देने के लिए बनाया गया था। अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक...
नेशनल डेस्क: साल 2020 में Google ने एक खास तकनीक लॉन्च की थी – Android Earthquake Alert System (AEA)। इस सिस्टम को खास तौर पर भूकंप संभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को भूकंप आने से पहले चेतावनी देने के लिए बनाया गया था। अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक पारंपरिक और महंगे भूकंप चेतावनी सिस्टम की तुलना में ज्यादा सस्ती और काफी असरदार साबित हो रही है।
खास बात – बिना भूकंपीय स्टेशन के काम करता है ये सिस्टम
इस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे काम करने के लिए किसी महंगे भूकंपीय सेंसर या स्टेशन की जरूरत नहीं होती। यह पूरी तरह से स्मार्टफोन्स के अंदर लगे accelerometer सेंसर पर काम करता है, जो झटकों को महसूस कर सकता है।
जब किसी इलाके में कई Android फोन्स एक साथ कंपन (vibration) महसूस करते हैं, तो यह जानकारी सीधे Google के सर्वर तक पहुंचती है। सर्वर इन डाटा का विश्लेषण कर यह तय करता है कि वाकई भूकंप आया है या नहीं। पुष्टि होते ही वहां मौजूद सभी Android यूज़र्स को तुरंत अलर्ट भेज दिया जाता है।
98 देशों में एक्टिव, 2.5 अरब लोगों को मिल चुकी है सुरक्षा
यह सिस्टम फिलहाल 98 देशों में एक्टिव है और अब तक करीब 2.5 अरब लोगों को कवर कर चुका है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा भूकंप अलर्ट नेटवर्क कहा जा रहा है, जहां करोड़ों Android डिवाइस एक मिनी-अलर्ट सेंटर की तरह काम करती हैं।
रिसर्च में हुआ खुलासा
हाल ही में एक साइंस जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, यह Android आधारित सिस्टम पारंपरिक नेशनल सिस्मिक नेटवर्क जितना ही असरदार है। रिसर्च के मुताबिक, भले ही मोबाइल फोन के सेंसर बहुत ज्यादा संवेदनशील न हों, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मौजूद होने के कारण ये छोटे से छोटे झटकों को भी पकड़ सकते हैं।
2021 से 2024 तक – 312 भूकंप की पहचान
इस सिस्टम ने 2021 से 2024 के बीच कुल 312 भूकंपों को रिकॉर्ड किया, जिनकी तीव्रता 1.9 से लेकर 7.8 तक रही। रिपोर्ट बताती है कि अलर्ट पाने वाले 85% लोगों ने वाकई झटकों का अनुभव किया। इनमें से
- 36% लोगों को भूकंप शुरू होने से पहले
- 28% को भूकंप के दौरान
- और 23% को भूकंप के बाद अलर्ट मिला।
तुर्कीए में दिखा था लाइव डेमो
एक डेमो वीडियो में दिखाया गया कि कैसे तुर्कीए में आए 6.2 तीव्रता के भूकंप को यह सिस्टम पहले ही पहचान गया। इसमें P-वेव और S-वेव को पीले और लाल घेरे से दर्शाया गया। S-वेव आमतौर पर ज्यादा नुकसान करती है और सिस्टम इन्हें पहचान कर समय से अलर्ट भेज देता है।